10वें अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स – विशेष रूप से दिव्यांगों के लिए वैश्विक कौशल प्रतियोगिता के लिए भारत के 13 सदस्यीय मज़बूत दल ने इस कार्यक्रम में रिकॉर्ड 7 पदक जीतकर देश और नागिरकों को गौरवान्वित किया है। यह ओलंपिक 23 मार्च से 26 मार्च तक फ़्रांस के मेट्ज़ शहर में आयोजित किया गया था।
भारत द्वारा जीते गए 7 पदकों में एक स्वर्ण, दो रजत, तीन कांस्य और एक उत्कृष्टता पुरस्कार शामिल है।
श्रवण बाधित और पेंटिंग वेस्ट रीयूज की कौशल श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मुंबई के चेतन पशिलकर ने स्वर्ण पदक जीता। उनकी पेंटिंग का विषय था- “प्रौद्योगिकी के उपयोग से सतत विकास”।
स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपनी ख़ुशी साझा करते हुए पाशिलकर ने कहा, “यह पदक मेरा नहीं है, बल्कि 1.41 अरब भारतीयों की इच्छाओं और प्रार्थनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। भारत ने शिक्षा, रोज़गार आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में समावेशिता और पहुंच को बढ़ावा देने के प्रयास किए हैं।”
एक रजत पदक पुणे की प्रियंका दाभाडे ने लिए, जिन्होंने कढ़ाई की कौशल श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह श्रवण बाधित हैं। दूसरा रजत मुंबई के क़ाशिफ़ ख़ान ने जीता, जिन्होंने पैटिसरी और कन्फ़ेक्शनरी की कौशल श्रेणी में भाग लिया।
लोकोमोटर दिव्यांगता और कौशल श्रेणी में प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाले आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के मोहित मजेटी ने फ़ोटोग्राफ़ी श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कांस्य पदक जीता। उनकी टीम के अन्य साथी, जिन्होंने कांस्य पदक जीता, वे थे मैसूर के अविनाश के.एस., जिन्होंने भी ज्वैलरी मेकिंग श्रेणी में इसे हासिल किया, जबकि बिहार के गया के मोहम्मद शमीम आलम ने टेलरिंग में भारत को तीसरा कांस्य दिलाने में मदद की।
अविनाश केएस श्रवणबाधित हैं, जबकि आलम चलने-फिरने में बाधित हैं।
मेडल ऑफ़ एक्सीलेंस विजेता प्रियंका दाभाडे पुणे से हैं और उन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्य, प्रतिभा और प्रतिबद्धता के लिए यह पुरस्कार जीता। जब उन्होंने अपना यह पुरस्कार जीता, तो उन्हें दर्शकों के साथ-साथ जजों से भी सराहना और तालियां मिलीं।
प्रतियोगिता में भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में यह अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना और विशेष रूप से दिव्यांगों की प्रतिभा का बढ़ावा देना है, और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए अपने व्यावसायिक कौशल हासिल करने और बढ़ाने के अवसर भी प्रदान करना है।
नेशनल एबिलिम्पिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने भारतीय दल का नेतृत्व किया। प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा: “यह भारत के लिए एक शानदार उपलब्धि है और हमें अपने 13 प्रतिभागियों पर बहुत गर्व है, जिन्होंने उल्लेखनीय कौशल और दृढ़ता का प्रदर्शन किया, जिससे भारत अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स कौशल प्रतियोगिता जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमक रहा है।”
उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन इस बात पर बल देता है कि विशेष रूप से सक्षम समुदाय में ऐसे व्यक्ति हैं, जो दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने और दूसरों को बदलाव लाने के लिए प्रेरित करने में सक्षम हैं।
संयोग से भारत को 37 सदस्य देशों से अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स फ़ेडरेशन की 8 कार्यकारी समिति सदस्यों में से एक के रूप में भी चुना गया है।
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