-प्रो. रसाल सिंह जब हम भारत के स्वातन्त्र्योत्तर इतिहास का अवलोकन करते हैं, तो उसमें सर्वसत्तावादी शासन का एक काला…
यह शख़्स कई प्रतीकों का एक समग्र प्रतीक था। हर व्यक्ति की तरह इसकी कई पहचान थी।मगर, इसकी मुख्य पहचान…