बिहार विधानसभा चुनाव से होटल व्यवसाय में आई तेजी

कोरोना काल में मंदी के दौर से गुजर रहा बिहार का होटल व्यवसाय विधानसभा चुनाव के दौर में गुलजार नजर आ रहा है। होटलों के कमरे भरे हुए हैं और लगातार बुकिंग भी हो रही है। होटलों के कमरों को बुक करने वाले अधिकांश किसी न किसी पार्टी के नेता हैं। कई अन्य राज्यों की पार्टी के नेता तो एक महीने तक के लिए होटलों के कमरों को बुक करवा चुके हैं।

बिहार में कोरोना काल में होटल व्यवसाय पूरी तरह सुस्त पड़ा हुआ था। सस्ते से लेकर महंगें होटलों में ताला लटका हुआ था। अनलॉक के दौरान भी होटल खुले लेकिन ग्राहकों का टोटा रहा। हालांकि चुनाव की घोषणा के बाद होटल व्यवसाय में तेजी देखी जा रही है। सस्ते से महंगें होटलों के कमरे बुक हो रहे हैं। इस दौरान कोरोना के प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जा रहा है।

होटल मौर्या के प्रबंधक गिरीश सिन्हा स्वीकार करते हैं कि कोरोना काल में होटल व्यवसाय को घाटा उठाना पड़ा है। विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद बंद पड़े होटल व्यवसाय में उछाल दिख रहा है, लेकिन अभी भी पुरानी स्थिति नहीं लौटी है।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लोग कमरे बुक करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि होटल के हॉल में प्रेस कांफ्रेंस भी आयोजित की जा रही हैं। कोरोना के इस दौर में प्रोटोकॉल का भी पूरा पालन किया जा रहा है।

पटना में ही नहीं कई अन्य शहरों में भी होटल व्यवसाय के लिए यह चुनाव वरदान साबित हुआ है। बोधगया जैसे पर्यटक स्थलों में भी कोरोना के दौर में होटल व्यवसाय में मंदी दर्ज की गई थी, लेकिन अब इसमें सुधार हुआ है।

गया के होटल सिटी सूर्या के प्रबंधक कृष्णकांत शर्मा कहते हैं कि चुनाव का समय है। कई नेता होटल में ही प्रेस कांफ्रेंस भी बुला रहे हैं। पटना से बाहर से आने वाले नेता होटल में ठहर भी रहे हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि फिर भी इस बार के चुनाव में होटल व्यवसाय मंदी से नहीं उबर सका है।

पटना में होटल व्यवसाय से जुड़े एक व्यवसायी कहते हैं कि होटलों में नेतओं के अलावा चुनाव संपन्न कराने वाले अधिकारियों के लिए भी कमरे की बुकिंग हुई है। कई होटल व्यवसायियों का कहना है कि बाहर से आने वाले टिकट के दावेदारों के साथ आने वाले उनके समर्थक इस चुनाव में कम संख्या में आ रहे हैं, इस कारण बाहर से आने वाले नेता ज्यादा कमरों की बुिंकंग नहीं करा रहे हैं।

बहरहाल, चुनाव ने बिहार में मंद पड़े होटल व्यवसायियों के चेहरे पर मुस्कान तो ला ही दी है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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