86 साल बाद रेल मार्ग से जुड़ा बिहार का कोसी और मिथिलांचल

वर्ष 1934 में आए भूकंप की वजह से कोसी नदी पर बना रेल पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद से यह रेल मार्ग बंद था। 86 साल बाद शुक्रवार को कोसी नदी पर बने नवनिर्मित पुल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया।

इस पुल पर ट्रेनों के दौड़ने के बाद अब बिहार के मिथिला, कोसी और सीमांचल के क्षेत्र तो सीधे रेल सुविधा से तो सीधे जुड़ ही गए, उत्तर, पूर्व के राज्यों के साथ भी बिहार के लोगों का संपर्क बढ़ गया।

कोसी नदी पर बने रेल पुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने का सबसे ज्यादा लाभ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वालों को हुआ है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे दरभंगा से सहरसा की दूरी काफी कम हो गई। पहले दरभंगा से सहरसा वाया मानसी, खगडिया, बेगूसराय, समस्तीपुर होकर ट्रेनें चलती थी। इस पुल के निर्माण के बाद निर्मली और सरायगढ़ के बीच की दूरी 298 किलोमीटर से घटकर 22 किलोमीटर हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा भी कि बिहार में रेल कनेक्टिविटि में इतिहास रचा गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज बिहार में किस तेज गति से रेल नेटवर्क पर काम चल रहा है, इसके लिए मैं एक तथ्य देना चाहता हूं। 2014 के पहले के 5 सालों में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरू हुई थी। जबकि 2014 के बाद के 5 सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी है।"

सुपौल के रहने वाले नित्यानंद प्रसाद कहते हैं कि इस पुल के प्रारंभ होने के बाद भारत-नेपाल के संबंध में भी सुधार होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र के विकास वहां के आवागमन सुविधाओं से पता किया जा सकता है। इस पुल के प्रारंभ होने के बाद कई क्षेत्रों में विकास का रास्ता खुल गया है।

उल्लेखनीय है कि बिहार में वर्ष 1934 में आए भूकंप के दौरान कोसी नदी पर बना रेल पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके साथ ही उत्तर और पूर्व बिहार के बीच का रेल संपर्क टूट गया था। बाद के दिनों में दोनों इलाकों के बीच रेल संपर्क कायम तो हुआ, लेकिन कोसी नदी पर पुल निर्माण का कार्य अटका ही रहा। वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस दिशा में पहल की और कोसी के लोगों के दुख दर्द को समझा। इसके बाद इस नदी पर रेल पुल का शिलान्यास किया गया।

कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई 1़9 किलोमीटर है जिसके निर्माण में 516 करोड रुपये खर्च किए गए हैं।.

डॉ. शफी अयूब खान

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