बिहार में राजग में 'दरार' बढ़ी, लोजपा के अलग रास्ता पकड़ने की अटकलें!

बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन के दो घटक दलों जनता दल (युनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में जिस तरह से तानातनी की स्थिति देखने को मिल रही है, उससे यह बात स्पष्ट है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सब कुछ ठीक नहीं है।

इधर, लोजपा संसदीय दल की दो दिन पहले हुई बैठक में जिस तरह से 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने का फैसला किया गया, उसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे हैं, कहीं लोजपा कोई अलग सियासी रास्ता तो नहीं तलाश रही है।

इस स्थिति में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के राजग में शामिल होने के बाद इस संभावना को और बल मिल रहा है। चुनाव के पूर्व विपक्षी दलों के महागठबंधन में खटपट के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन से नाता तोड़ कर जदयू के सहारे राजग में शामिल हो गई है।

राजग में शामिल होने के बाद से ही 'हम' के नेता लोजपा के नेताओं पर निशाना साध रहे हैं। हम के प्रमुख मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि लोजपा अगर जदयू प्रत्याशी के खिलाफ प्रत्याशी उतारेगी, तो हम भी ऐसे क्षेत्रों में प्रत्याशी देगी, जहां से लोजपा के प्रत्याशी हैं।

उल्लेखनीय है कि लोजपा की कमान जब से रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के हाथ में आई है, तभी से वे बिहार सरकार पर निशाना साध रहे हैं। स्थिति है कि जदयू और लोजपा नेताओं के बीच बयानबाजी 'सूरदास' और 'कालिदास' तक पहुंच गई है।

चिराग कोरोना जांच की संख्या बढ़ाए जाने को लेकर नीतीश कुमार को घेर चुके हैं और दलितों की हत्या के बाद नौकरी देने के नियम बनाने को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा खुद भी असमंजस की स्थिति में है। हाल के सियासी हालातों पर गौर करें तो भाजपा की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह जदयू को छोडकर किसी दूसरे रास्ते जा सके। कहा जा रहा है कि जदयू भी ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह भाजपा या राजद के साथ आए बगैर सरकार में आ जाए।

वैसे, राजनीति के जानकार इसे सिर्फ 'प्रेशर पॉलिटिक्स' बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर कहते हैं, "लोजपा की स्थिति ऐसी नहीं की वह राजग को छोड़कर चली जाए। केंद्र में रामविलास पासवान मंत्री हैं। हाल के समय में बिहार में इनकी कितनी पकड़ है, यह भी लोजपा नेतृत्व को मालूम है, ऐसे में केवल सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर यह राजनीति है।"

सूत्रों का दावा है कि जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव से भी चिराग पासवान मिल चुके हैं और पप्पू यादव भी चिराग को मुख्यमंत्री के पद का उम्मीदवार बनाने की मांग कर चुके हैं। ऐसे में इस बात को बल मिलता है कि चिराग कहीं तीसरे मोर्चे की तलाश में तो नहीं है।

लोजपा बिहार संसदीय बोर्ड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा, "राजग से बाहर जाने और नहीं जाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। 15 सितंबर को पार्टी के सांसदों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक होनी है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।"

जदयू से वाकयुद्ध के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "बिहार के विकास की बात करने पर अगर कोई आलोचना करेगा तो जवाब तो देना होगा। लोजपा केवल बिहार के विकास की ही बात कर रही है।"

इधर, जदयू का गठबंधन लोजपा से नहीं भाजपा से है। ऐसे में लोजपा 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारने पर अड़ी रहती है तो यह राजग के लिए परेशानी का सबब बनना तय है।

इधर, जदयू के महासचिव के. सी. त्यागी इस बात को फिर दोहराते हैं कि उनका गठबंधन भाजपा से है। अब गठबंधन में लोजपा रहना चाहती है या नहीं यह तो उसी के पार्टी के नेता बता सकते हैं।

बहरहाल, इस साल होने वाले विधानसभा को लेकर सभी दलों ने तैयारी प्रारंभ कर दी है। अब देखना होगा लोजपा राजग के साथ रहती है या कोई अलग रास्ता अख्तियार करती है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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