बिहार के मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, मधुबनी, दरभंगा सहित कई जिलों में विभिन्न नदियों के उफान से आई बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांवों में बर्बादी का मंजर दिखने लगा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के गांवों के कच्चे मकान टूट गए हैं। लोगों की तिनका-तिनका जोड़कर बसाई गृहस्थी बिखर गई है। घरों में कीचड़ भरे हुआ है और उसमें से निकलने वाली बदबू ने जीना मुहाल कर दिया है। गांवों में हैंडपंपों से दूषित पानी निकल रहा है।
बाढ़ का पानी उतरने के बाद करीब 35 दिन से ज्यादा समय तक बांध या सड़कों के किनारे जिंदगी गुजार रहे लोग अब अपने घरों में लौटने लगे हैं। लेकिन अपने गांवों की तबाही देख उनका कलेजा फट रहा है। लोग अब आगे की जिंदगी को पटरी पर लाने को लेकर चिंतित हैं।
बरौली प्रखंड के पिपरा गांव के रहने वाले नवल यादव सारण बांध पर 35 दिन गुजारने के बाद घर लौटे हैं। घर की एक तरफ की दीवारें गिर गई हैं तो ईंट बिखर और बह गया है। यादव का परिवार बाढ़ के कारण जब गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान के लिए निकले थे, तब कई जरूरी सामान साथ ले गए थे, लेकिन जो बचा था वह अब नहीं है। बाढ़ के पानी में सबकुछ बह गया। घर लौटे नवल के परिवार इस मंजर को देखकर भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
नवल की पत्नी कहती है, "सबकुछ तो बर्बाद हो गया। कहीं कुछ नहीं बचा। किसी तरह यह आशियाना बना था। अभाव में जिंदगी गुजार कर सबकुछ इकट्ठा किया था, लेकिन अब कुछ नहीं बचा। बांध पर थे, तो किसी तरह खाना-पीना मिल जाता था अब तो गांव में खाने के भी लाले पड़ गए हैं।"
कई गांवों के ऊंचे स्थानों से बाढ़ का पानी तो निकल गया है, लेकिन निचले इलाकों में अभी भी पानी है। कई इलाकों के खेतों में लगी फसलों को बर्बाद कर बाढ़ का पानी उतर गया है लेकिन अब खेतों में बालू भर गए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि अब बालू के कारण उनकी खेत भी बर्बाद हो गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गोपालगंज के चार प्रखंडों में करीब 2000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे लोगों के सामने अब ना केवल अपने आशियानों को फिर से बनाने की चिंता है बल्कि दो समय की रोटी का जुगाड़ करना भी समस्या बन गई है।
मधुबनी जिले के कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी जिदगी पटरी पर नहीं लौट पाई है। विनाशकारी बाढ़ से खंड-खंड में टूटी सड़क, धाराशाई हुए घर, परेशान जिदगी का मंजर दिखने लगा है। बाढ़ का पानी हटने के बाद गांवों में अथाह पीड़ा है। बाढ़ ने गरीबों के घर उजाड़कर बेघर करते हुए सड़क पर ला दिया है।
बेनीपट्टी प्रखंड के गुलरिया टोल गांव में बाढ़ से रामाशीष सहनी, उर्मिला देवी की घर क्षतिग्रस्त हो गया है। एक माह तक घर में पानी था। बाढ़ से विस्थापित होकर पड़ोसी सुखदेवी सहनी के घर में खाना बनाते हैं और अपने पड़ोसी जगदीश सहनी के दरवाजे पर रात गुजारते हैं। मुजफ्फरपुर के कई प्रखंडों में भी बाढ़ का पानी उतर गया है, लेकिन यहां के भी लोगों की परेशानियां अभी कम नहीं हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार के 16 जिले के 130 प्रखंडों के 1333 पंचायतों में बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में छह राहत शिविर चलाए जा रहे हैं तथा 174 सामुदायिक रसोईघर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि अब तक बाढ़ प्रभावित 10 लाख 48 हजार 614 परिवारों के बैंक खाते में प्रति परिवार 6,000 रूपये की दर से कुल 629़17 करोड़ रुपये ग्रेचुट्स रिलीफ (जीआर) की राशि भेजी जा चुकी है। लाभान्वित परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।.
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