कलकत्ता की सड़कों पर नेताजी के दो हजार सैनिकों की परेड से हिल गई थी ब्रिटिश सरकार

जापान ने 23 अक्टूबर 1943 को आज़ाद हिंद सरकार को मान्यता दी। जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को दे दिए।

आज़ाद हिन्द को 9 देशों ने दी थी मान्यता

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्‍व में आज़ाद हिंद सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था।

आज़ाद हिंद सरकार में हर क्षेत्र के लिए योजना

आज़ाद हिंद सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा को चुना था। 21 मार्च 1944 को 'दिल्ली चलो' के नारे के साथ आज़ाद हिंद सरकार का हिंदुस्तान की धरती पर आगमन हुआ।

'दिल्ली चलो' नारे के साथ सरकार का आगमन

आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री नेताजी थे, उन्होंने ऐलान किया था कि लाल किले पर एक दिन पूरी शान से तिरंगा लहराया जाएगा।

नेताजी थे आज़ाद हिंद सरकार के प्रधानमंत्री

'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा बुलंद करने वाले महान देशभक्त सुभाष चंद्र बोस थे।

'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा'

नेताजी ने साल 1928 में कलकत्ता की सड़कों पर सेना की वर्दी में दो हजार भारतीय युवकों के साथ परेड कर ब्रिटिश खेमे को हिला कर रख दिया था।

दो हजार सैनिकों की परेड

सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। विदेशी प्रवास के दौरान नेताजी हिटलर से भी मिले।

हिटलर से भी मिले थे सुभाष चंद्र बोस