26/11 हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा का America के कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट खारिज कर दिया है। जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि राणा को जल्द ही भारत लाया जाएगा।पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा की ओर से अमेरिकी कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट फाइल किया गया था ,जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
America के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। बता दें कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे।
America के अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को खारिज कर दिया, जिससे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
मई में कोर्ट ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को दी थी मंजूरी
राणा के बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट खारिज होने के बाद 26/11 के मुंबई हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की भारत की लड़ाई की एक बड़ी जीत मानी जा रही है। बता दें कि अमेरिका के अदालत ने मई में 62 वर्षीय राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। फिलहाल राणा को लॉस एंजिलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखा गया है।
जून में राणा ने रिट दायर किया था
PTI के मुताबिक, राणा ने इस साल जून में अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट’ दायर की थी, जिसमें अमेरिकी सरकार के अनुरोध को स्वीकार किया गया था कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपियों को भारत प्रत्यर्पित किया जाए।
कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस फिशर ने 10 अगस्त को अपने आदेश में लिखा, “अदालत ने एक अलग आदेश द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट के लिए तहव्वुर राणा की याचिका को खारिज कर दिया है।”
कोर्ट के आदेश के खिलाफ राणा ने दायर की है अपील
हालांकि, राणा ने आदेश के खिलाफ अपील दायर की है और नौवें सर्किट कोर्ट में उसकी अपील की सुनवाई होने तक भारत में अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की है। उन पर मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में उनकी भूमिका के लिए आरोप लग रहे हैं। जज फिशर ने अपने आदेश में कहा कि राणा ने रिट में केवल दो बुनियादी दलीलें दी हैं।
10 जून, 2020 को भारत ने प्रत्यर्पण की दृष्टि से राणा की अनंतिम गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक शिकायत दर्ज की। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी।
मामले में NIA कर रही जांच
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 हमलों में उनकी भूमिका की जांच कर रही है। NIA ने कहा है कि वह राजनयिक चैनलों के माध्यम से उसे भारत लाने की कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार है।
बता दें कि साल 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों में 6 अमेरिकी नागरिक सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक घेराबंदी की थी।आतंकवादियों ने मुबई के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर हमला किया था।
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