Bajwa की फौज को मुल्‍ला उमर के बेटे की धमकी, कहा- Afghanistan को कमजोर मत समझना, एक झटके में उड़ा देंगे पूरा…

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पाकिस्तान और तालिबान के बीच इस वक्त स्थिति युद्ध जैसी हो गई है। आज से आठ महीने पहले दोनों इतने अच्छे दोस्त थे कि, तालिबान को अफगानिस्तान में कब्जा करने के लिए पाकिस्तान ने ही सबसे ज्यादा मदद की। साथ ही तालिबान सरकार की गठन के दौरान भी पाकिस्तान की आईसआई का हाथ रहा। इस दौरान आईएसआई चीफ वहां पर मौजूद थे। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तो जब भी मौका मिला विश्व मंच पर गला फाड़ कर चिल्लाए कि दुनिया अपना समर्थन दे। लेकिन, यही तालिबान अब पाकिस्तान के लिए नासूर बन बैठा है। हालांकि, इसमें सबसे ज्यादा गलती पाकिस्तान की है। क्योंकि, पाकिस्तान यहां भी अपना फायदा देख रही थी और डूरंड लाईन पर बाढ़ लगा रही थी। जिसके बाद से विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों में दुश्मनी का माहौल पौदा हो गया। इस बीच अफगानिस्तान के कार्यकारी तालिबानी रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकुब ने शाहबाज शरीफ सरकार को धमकी देते हुए कहा है कि, हमें कमजोर न समझे पाकिस्तान।</p>
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तालिबान के संस्‍थापक मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्‍ला याकूब ने कहा कि तालिबानी प्रशासन पड़ोसी देशों से 'आक्रमण' को बर्दाश्‍त नहीं करेगा। इससे पहले तालिबान ने हवाई हमलों को लेकर पाकिस्‍तान को कड़ी चेतावनी दी थी। कुनार और खोस्‍त प्रांतों में हुए पाकिस्‍तानी हवाई हमले में दर्जनों की तादाद में अफगान लोग मारे गए थे जिसमें महिलाएं और बच्‍चे भी शामिल थे। मुल्‍ला याकूब ने अपने पिता के एक कार्यक्रम में कहा, 'हम दुनिया और पड़ोसी देशों से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह उनकी ओर से कुनार में हमारे क्षेत्र पर आक्रमण का स्‍पष्‍ट उदाहरण है। हम आक्रमण को सहन नहीं कर सकते हैं। हमने हमले को सहन किया है। हमने इसे अपने राष्‍ट्रीय हितों की वजह से सहन किया है लेकिन अगली बार हम इसे सहन नहीं करेंगे।'</p>
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इसी दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के फाइटर जेट एक बार फिर से अफगान सीमा में घुसे हैं। जिसके जवाब में तालिबानी सेना ने एंटी एयरक्राफ्ट गन का इस्तेमाल किया। अफगानिस्तान के इस बयान पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता याकूब ने कहा कि, पाकिस्‍तान लंबे समय तक अफगानिस्‍तान से संबंध बनाए रखना चाहता है ताकि शांति को सुनिश्चित किया जा सके। दोनों देशों के बीच भाईचारे वाला संबंध था। सरकारें और लोग दोनों ही आतंकवाद को गंभीर खतरे के रूप में देखते हैं और लंबे समय से इससे पीड़ित रहे हैं। इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि दोनों ही देश सार्थक तरीके से प्रासंगिक माध्‍यमों से सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग करेंगे। साथ अपनी जमीन पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।</p>
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आईएन ब्यूरो

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