चालबाज दोस्त पाकिस्तान को छोड़ भारत के पास आया Taliban, कहा- हम आपके साथ काम करने के लिए बेचैन हैं

<div id="cke_pastebin">
<p>
तालिबान इस वक्त अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत के साथ विकास की राह देख रहा है। आतंक फैलाने वाले पाकिस्तान और धोखेबाज चीन से किनारा करते हुए भारत के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने पर लगा हुआ है। उसे भी अच्छे से पता है कि पाकिस्तान में उसका कोई भविष्य नहीं है क्योंकि, वो खुद कंगाली के कगार पर खड़ा है। उसके साथ वो गया तो उसे सिर्फ आतंक ही मिलेगा। उधर चीन की नीतियों के बारे में भी वो अच्छे से समझ रहा है। तालिबान को अच्छे से पता है कि चीन के साथ रिश्ता जोड़ने का मतलब श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हालात। वैसे ही अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराया हुआ है। ऐसे में भारत के साथ वो विकास की राह देख रहा है। क्योंकि, उसे अच्छे से पता है कि आज विश्व में भारत की अपनी अलग पहचान है। अमेरिका से लेकर रूस तक के पीएम मोदी के साथ अच्छे संबद हैं। दुनिया के बड़े से बड़े देश भारत के साथ जुड़े हुए हैं और अपने रिश्ते मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में तालिबान को अच्छे से पता है कि भारत के साथ अगर वो जुड़ा तो उसके लिए अनेकों फायदे के द्वार खुल जाएंगे। यही वजह है कि वो भारत को लगातार प्रथमिकता दे रहा है। तालिबान इस वक्त भारत के साथ आने के लिए बेचैन है।</p>
<p>
तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमीर खान मुताकी ने कहा है कि जिस तरह पाकिस्‍तान से निर्यात होता है। उसी तरह से अफगानिस्‍तान भी अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है। मुता‍की के मुताबिक तालिबान सभी देशों के साथ अच्‍छे रिश्‍ते चाहता है। कंधार में कबीलाई नेताओं के सामने बोलते हुए मुताकी ने ये बड़ा बयान दिया है। मुताकी का कहना था कि 20 साल के बाद भी कुछ देशों के साथ युद्ध जारी है और स्थिति एकदम से सामान्‍य नहीं होगी। मुताकी के अनुसार अगर पाकिस्‍तान कुछ एशियाई देशों को अपना सामान भेजता है। ऐसे में अफगानिस्‍तान को भी भारत को सामान निर्यात करने की मंजूरी मिलनी चाहिए।</p>
<p>
मुताकी का कहना है कि, पाकिस्तान के रास्ते उजबेकिस्तान तक निर्यात करने में अफगानिस्तान ने भारत की बड़ी मदद की है और हमारा रोल भी बहुत अहम हो जाता है। उन्होंने कबीलाई नेताओं का भी शुक्रिया अदा किया और उन्हें भाई समान बताया। बताते चलें कि, पिछले दिनों जब भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किए तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अब्‍दुल कहर बालखी ने ट्वीट कर लिखा कि, 'अफगानिस्‍तान, भारत के काबुल में राजनयिक प्रतिनिधित्‍व को बढ़ाने के फैसले का स्‍वागत करता है। हम सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा राजनयिकों की सुरक्षा और उन्‍हें सहयोग देने की दिशा में काम करेंगे।' एक साल पहले जब 15 अगस्‍त 2021 को अफगानिस्‍तान की सरकार गिर गई थी तो भारत ने राजदूत को वापस बुला लिया था। रातों-रात दूतावास छोड़ अधिकारी काबुल से नई दिल्‍ली आ गए थे।</p>
</div>

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago