रूस की मदद करने की ड्रैगन को मिलेगी सजा, America ने कहा China को पूरी तरह कर देंगे…

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यूक्रेन और रूस जंग को लेकर अमेरिका का कहना है कि, जो भी देश रूस की मदद करेगा वो उसे बर्बाद कर देगा। पश्चिमी देशों ने जो रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं वो चाहते हैं कि पूरी दुनिया उसे फॉलो करे। खासकर छोटे देशों को तो पश्चिमी देश सीधा धमकी दे रहे हैं कि, उन्होंने अगर रूस से किसी भी तरह का रिश्ता रखा तो अंजाम बुरा होगा और पाकिस्तान में तो इसका असर भी देखने को मिल गया। इसी बात को लेकर अमेरिका और चीन लगातार आमने सामने हैं। चीन इस जंग में रूस के साथ है जो अमेरिका को पच नहीं रहा है। चीन के समर्थन से अमेरिका नाराज है और खबर है कि कोई बड़ा कदम उठाने जा रहा है।</p>
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तेल और गैस की खरीदारी के जरिए रूस को चीन की ओर से मिल रहा समर्थन अमेरिका की नाराजगी और अमेरिकी कार्रवाई के खतरा को बढ़ा रहा है। यूरोपीय नेताओं ने सोमवार रात को रूस से किए जाने वाले 90 फीसदी तेल आयात को रोकने का फैसला लिया। इस फैसले को अगले छह महीनों में लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में रूस के लिए चीन की महत्ता और बढ़ गई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार यह कह चुके हैं कि, उनकी और रूस की मित्रता की कोई सीमा नहीं है। अमेरिका, यूरोप और जापान ने संयुक्त राष्ट्र के पास जाए बिना रूस को बाजार और वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से अलग-थलग कर दिया है। चीन ने इन प्रतिबंधों को गैर कानूनी बताया है।</p>
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इन प्रतिबंधों के बाद भी चीन के साथ ही भारत और कई अन्य देश रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बीच शी को चेतावनी दी है कि, अगर उन्होंने प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की तो, चीन को इसके परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि, चीनी कंपनियों पर पश्चिमी बाजार तक पहुंच समाप्त होने का खतरा है। चीन प्रतिबंधों का पालन करता दिख रहा है, लेकिन सरकारी कंपनियां रूस से और तेल और गैस खरीद रही हैं। वे पश्चिमी कंपनियों के जाने के बाद रूसी ऊर्जा परियोजनाओं की संभावित निवेशक भी हैं। यूरेशिया ग्रुप के नील थॉमस ने एक ईमेल में कहा, रूस के प्रति चीन के सहयोग से बाइडेन प्रशासन संभवत: और नाराज हो जाएगा।</p>
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उन्होंने कहा कि, इससे बीजिंग को सजा देने के लिए एकतरफा कदम उठाए जाने और चीन से निपटने के लिए आर्थिक सुरक्षा उपायों के संदर्भ से सहयोगी देशों के समन्वय से कदम उठाए जाने की संभावना है। अमेरिका ताइवान, हांगकांग, मानवाधिकार, व्यापार, प्रौद्योगिकी और बीजिंग की सामरिक महत्वाकांक्षाओं के कारण पहले ही चीन से नाराज है। शी की सरकार ने रूस के युद्ध से स्वयं को दूर रखने की कोशिश की है और शांति वार्ता का समर्थन किया है, लेकिन उसने मॉस्को की निंदा नहीं की है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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