अमेरिका ने रूस के सामने लगाई Ceasefire की गुहार, Putin बोले ‘जीत के ऐलान’ से कम कुछ भी मंजूर नहीं

<p>
यूक्रेन-रूस युद्ध में अमेरिका की स्थिति सांप-छछूंदर जैसी हो गई है। यूक्रेन के कंधे पर अमेरिका ने हाथ तो रख दिया लेकिन अब बाइडन को पश्चाताप हो रहा है। व्हाइट हाउस के थिंक टैंक ने सोचा था कि अगर यूक्रेन के साथ जंग को दो महीने भी खींच लिया गया तो रूस घुटनों पर आ जाएगा। रूस कमजोर हो जाएगा। टूट जाएगा। लेकिन रूस के कमजोर होने या टूटने के कोई लक्षण अभी तक दिखाई नहीं दे रहे। इसके उलट अमेरिका, यूरोप और नाटो देशों में महंगाई सुरसा की तरह मुंह खोल कर बैठ गई है। अमेरिका में बाइडन की लोकप्रियता का ग्राफ गिर रहा है। अब अमेरिकी थिंक टैंक कहने लगे हैं कि यूक्रेन में भी अमेरिका की हालत अफगानिस्तान जैसी होने जा रही है।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Ukrain-Russia_War_3.webp" /></p>
<p>
यूरोप के देश रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हैं ही पुराने प्रतिबंधों को भी लगभग नकार रहे हैं। प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल-गैस की खरीद जारी है। पहले डॉलर में होती थी अब रूबल में हो रही है। रूस पर जितने भी आर्थिक प्रतिबंध लगे उनका विपरीत असर अमेरिका और उसके दुश्मन देशों पर पड़ रहे हैं। इसलिए अब बाइडन चाहते हैं कि किसी भी तरह इस युद्ध रुक जाए।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Ukrain-Russia_War_4.webp" /></p>
<p>
इधर, कीव को छोड़ रूस ने अपना पूरा ध्यान डोनवास पर लगा दिया। पूर्वी यूक्रैन पर रूस का कब्जा लगभग हो जाएगा। यह इलाका अजोव सागर तक फैला हुआ है। इस पूरे इलाके पर रूस के कब्जे के बाद यूक्रेन नहीं अमेरिका की हालत और ज्यादा खराब हो जाएगी। हालात यह है कि यूक्रेनी सेना रूसी फौज के सामने सरैंडर भी कर सकती है। यूक्रेनी सेना के सरैंडर की खबरें यूरोपियन मीडिया में छप रही हैं। कुछ दिन पहले तक यूरोपियन मीडिया रूस के खिलाफ खबरें दिखा और छाप रहा था। अब स्थिति बदल चुकी है। हालांकि, अजोब सागर तट की कथित सुरक्षा के लिए अमेरिका ने हार्पून मिसाइल देने का वादा किया है, लेकिन समय काफी बीत चुका है। अगर हार्पून मिल भी गई को यूक्रेन उनका करेगा क्या?</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Ukrain-Russia_War_5.webp" /></p>
<p>
अमेरिका सीजफायर कराने के लिए एक तरफ यूक्रेन की सैन्य ताकत बढ़ा रहा है तो दूसरी ओरनाटो रूस के पास सीजफायर के संकेत भी भेज रहा है। भले ही वो मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से ही क्यों न हों। ऐसी भी खबरें हैं कि इंग्लैण्ड और अमेरिका भी जेलेंसकी से खुश नहीं हैं। नाटो के देशों में एक राय नहीं है। इन सब परिस्थितियों के बीच इसी महीने की 13 मई को अमेरिकी रक्षामंत्री लॉर्ड ऑस्टिन ने रूसी रक्षामंत्री शर्गेई शोईगू से फोन पर बात की इसके बाद 19 मई अमेरिका के ही ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिली ने अपने रूसी समकक्ष जनरल वैलेरी गैरिसिमोव से सीज फायर का आग्रह किया है।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Ukrain-Russia_War_6.webp" /></p>
<p>
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अमेरिका के इन प्रस्तावों के आगे झुकने को तैयार नहीं है। वो सीज फायर नहीं बल्कि यूक्रेन पर रूस की घोषणा चाहते हैं। क्यों कि तीन महीने से ज्यादा युद्ध के बाद सीजफायर का मतलब उनकी हार है। अगर वो अमेरिका का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है। हो सकता है कि पुतिन पर मुकदमा शुरु कर दिया जाए। इसलिए अमेरिका के सीजफायर के प्रस्ताव को रूस ने सिरे से नकार दिया है। वैसे भी रूस को लगता है कि बहुत जल्दी पूर्वी यूक्रेन पर जीत का ऐलान कर सकते हैं। साथ ही पुतिन ने अमेरिका को यह चेतावनी भी दी है कि अगर शक्ति संतुलन बनाकर रूस को सीजफायर के लिए विवश करना अमेरिका के लिए भारी पड़ेगा। अमेरिका भी जानता है कि रूस की यह चेतावनी खोखली नहीं है।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Ukrain-Russia_War_7.webp" /></p>
<p>
बहरहाल, सारी बात जेलेंसकी पर निर्भर करती है। अगर अब भी वो डोनवास पर अधिकार छोड़कर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से सीधी वार्ता करते हैं तो युद्ध खत्म हो सकता है। दोनों ओर से हो रही बर्वादी रुक जाएगी। जेलेंसकी के अधिकार से डोनवास तो निश्चित निकल जाएगा लेकिन इतना भी है कि पश्चिमी देशों का भारी निवेश उन्हें मिलेगा और वो जल्द ही अपने देश का पुनरूद्धार कर सकेंगे। जबकि रूस के हिस्से में सिर्फ जीत का सेहरा होगा लेकिन पुतिन के आगे महान आर्थिक संकट से जूझना होगा।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago