सभी पक्षों के लिए महत्वपूर्ण अंतर-अफगान वार्ता की शुरुआत में मौजूदा इंतजार के बीच तालिबान प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने के लिए चर्चा करने के लिए पाकिस्तान पहुंचेगा। दोहा में अफगान तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
तालिबान नेताओं का यह प्रतिनिधिमंडल इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेगा।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, "अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के राजनीतिक कार्यालय का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, इसके उप-राजनीतिक निदेशक और राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय के निमंत्रण पर आज पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ।"
उन्होंने कहा, "इस्लामिक अमीरात का प्रतिनिधिमंडल अफगान शांति प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बैठक करेगा।"
शाहीन ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों, लोगों की आवाजाही, व्यापार और अन्य संबंधित मुद्दों को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों पड़ोसी देश चर्चा करेंगे। तालिबान की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अफगान जेलों में सभी तालिबान कैदियों की रिहाई पर अंतर-अफगान वार्ता प्रक्रिया का भविष्य निर्भर है।जैसा कि अशरफ गनी की अगुवाई वाली अफगान सरकार ने लोया जिरगा बैठक के बाद घोषित किया था।
शाहीन ने कहा कि अंतर-अफगान वार्ता सभी कैदियों की रिहाई के एक सप्ताह के भीतर शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह दोहा शांति समझौते में प्रतिबद्धता के अनुसार है। समग्र शांति वार्ता में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि इस्लामाबाद ने अक्टूबर 2019 में कम से कम 10 महीने के अंतराल के बाद वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने में मदद की थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के खिलाफ आतंकवादी हमलों के जारी रहने का हवाला देते हुए शांति वार्ता को बंद कर दिया था।
पाकिस्तान ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध सूची में ऐसे कई व्यक्तियों, संस्थाओं, संगठनों और उनके संबद्ध समूहों के नाम रखे हैं। इस लिहाज से भी तालिबान प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा महत्वपूर्ण हो जाता है। इनमें तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के महत्वपूर्ण सदस्यों के नाम शामिल थे।
पाकिस्तान का कदम अब यात्रा प्रतिबंधों के साथ ही सभी संपत्तियों एवं बैंक खातों को फ्रीज करना होगा, ताकि ऐसे समूहों और उनके मंसूबों पर लगाम कसी जा सके। यह उम्मीद की जा रही है कि तालिबान प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद के फैसले पर अपनी चिंताओं को रखेगा।
तालिबान का कहना है कि अफगान जेलों में बंद उनके शेष 400 कैदियों को पहले दौर के अंतर-अफगान संवाद से पहले रिहा करने की जरूरत है। संवाद दोहा में आयोजित किया जाएगा। दूसरी ओर, अफगान सरकार ने तालिबान से कैदियों की रिहाई से पहले संघर्ष विराम की घोषणा करने का आह्वान किया है। मगर आतंकवादी समूह इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।.
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