जहां एक ओर यूरोपियन  पार्लियामेंट के सदस्य (MEP) फ्रांस ने में एक बार फिर पाकिस्तान और टर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव बनाया है तो वहीं ब्रिक्स (BRICS) ने भी नई एंटी टेररिज्म पॉलिसी (Anti Terrorism Policy) का ऐलान कर दिया है। ब्रिक्स (BRICS) में आतंकवाद का मुद्दा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया था। यूरोपियन पार्लियामेंट के फ्रांसीसी सदस्य जॉर्डन बारडेला ने कहा है कि दुनिया के पास पक्के सुबूत हैं कि पाकिस्तान (Pakistan) और टर्की  (Turkey) ही आतंकवाद को फैला रहै हैं। इसलिए अब इन दोनों पर प्रभावी और वास्तविक आर्थिक प्रतिबंध तुरंत लागू किए जाने चाहिए। ताकि पाकिस्तान और टर्की की सरकारों को अहसास हो सके कि आतंक को बढ़ावा देने का क्या नतीजा हो सकता है। ब्रिक्स की नई एंटी टेररिज्म पॉलिसी और यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्यों के प्रस्तावों पर अमल हो जाता है तो पाकिस्तान और टर्की का हाल ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसी हो जाएगी।
फ्रांस के ईयू (European Union) मेंबर जॉर्डन बारडेला और उनसे पहले निकोलस बे समेत तमाम ईयू सांसदों ने यूरोपियन कमीशन से कहा है कि पाकिस्तान और टर्की को दी जा रही सब्सिडीज और आर्थिक मदद तत्काल प्रभाव से बंद की जाएं। फ्रांस की ओर से पाक और  टर्की पर आर्थिक प्रतिबंधों का मुद्दा उठाया गया है तो वहीं ब्रिक्स (BRICS) ने भी भारत के आह्वान पर नई एंटी टेररिज्म पॉलिसी (Anti Terrorism Policy) का ऐलान कर दिया है। ध्यान रहे यह मुद्दा भारत के प्रधानमंत्री ने उठाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स (BRICS) समिट में कहा था कि कुछ देशों के भीतर आतंकी केंद्र काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी के इस आह्वान के बाद ब्रिक्स के मौजूदा अध्यक्ष रूस ने आतंकवाद रोकने का नया मसौदा पेश किया है। इस मसौदे में कहा गया है कि सभी देश आतंकवाद के केंद्रों या आतंकवादी गतिविधियों के प्रसार के लिए अपनी सीमाओं का इस्‍तेमाल रोकने के लिए उचित कदम उठाएं। ब्रिक्स ने कहा कि रणनीति का उद्देश्य सदस्य देशों के सुरक्षा और कानून प्रवर्तन प्राधिकारों के बीच व्यावहारिक सहयोग मजबूत करना है ताकि समय पर और सटीक जानकारी साझा करने के साथ ही आतंकवाद से लड़ा जा सके और उसे रोका जा सके। ब्रिक्स ने यह भी कहा कि ‘आतंकवाद के और भौगोलिक विस्तार’ को रोकने के लिए प्रयास किये जाएंगे।
भारत और रूस के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है कि ब्रिक्स सम्मेलन में काउंटर टेररिज्म पॉलिसी का ऐलान हुआ है। इस नई पॉलिसी से चीन की मुश्कें भी कसने की कोशिश की गई है। क्योंकि चीन आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता आया है। ब्रिक्स के इस नए कानून के पास हो जाने के बाद चीन अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की खुल कर मदद करने से बाज आएगा। ईयू पार्लियामेंट के सदस्यों और ब्रिक्स देशों का आतंक के खिलाफ एक साथ हल्ला बोलने से पाकिस्तान काफी दबाव में है। नये अंतर्राष्ट्रीय प्रावधानों से त्रस्त पाकिस्तान झूठ और फरेब पर उतर आया है। क्योंकि इमरान खान को मालूम है कि अगर ईयू ने प्रतिबंध लगा दिए तो हालात ईरान और  नॉर्थ कोरिया से भी खराब हो जाएंगे। टर्की की आर्थिक स्थिति बेहतर है। एर्दोगान कुछ दिन तक इन प्रतिबंधों को झेल सकते हैं लेकिन पाकिस्तान की स्थिति किसी भी नए प्रतिबंध को झेलने की नहीं है।
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