Pinaka Rocket System: दुनिया में भारत के हथियारों की मांग बढ़ने लगी है। ये समय दुनिया से हथियार का खरीदने का नहीं बल्कि बेचने का है। पिछले कुछ समय से ये देखने को भी मिल रहा है। भारत के हथियारों की पूर्वी एशियाई देसों में काफी पूछपरख है। खासतौर पर दक्षिण चीन सागर में चीन से परेशान देशों में। पहले फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) को लेकर 37.496 करोड़ डॉलर का एग्रीमेंट किया। उसके बाद इंडोनेशिया ने भी इस मिसाइल को खरीदने की अपनी इच्छा जता दी। अब दुनिया का एक और देश है जो अमेरिका के HIMARS को छोड़कर भारत का पिनाका (Pinaka Rocket System) खरीदने जा रहा है। पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम (Pinaka Rocket System) को खरिदने के लिए ये देश अमेरिकी रॉकेट सिस्टम को खारिज कर दिया।
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पिनाका के लिए रिजेक्ट किया अमेरिका का HIMARS
दरअसल, ये कोई और नहीं बल्कि अर्मेनिया (Armenia and Azerbaijan) है जो भारत का पिनाका खरीदना चाहता है। अजरबैजान के साथ जारी संघर्ष के बीच ही अर्मेनिया ने 2000 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के साथ भारत में बने पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम को खरीदने का मन बनाया है। उनसे पिनाका के लिए अमेरिकी रॉकेट सिस्टम को खारिज कर दिया। विशेषज्ञों की मानें तो यह कॉन्ट्रैक्ट न केवल बढ़ते हुए भारतीय रक्षा उद्योग के बारे में बताता है बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह से पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा निर्यात नीति में बड़ा बदलाव हुआ है। यह एक सकारात्मक कदम है और इससे दुनिया के नक्शे पर भारत एक अलग पहचान हासिल करने में कामयाब हो पाएगा।
महंगा है अमेरिका का हीमर्स
अमेरिका का हीमर्स रॉकेट सिस्टम काफी महंगा था इसलिए अर्मेनिया ने पिनाका को चुना है। सबसे खास बात यह कि, पिनाका के फीचर्स हीमर्स के जैसे ही हैं। हीमर्स को लॉकहीड मार्टिन ने तैयार किया है और पिनाका को भारत के DRDO ने बनाया है। जो कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ है उसके तहत अर्मेनिया को पिना Mk-1 रॉकेट सिस्टम दिया जाएगा न कि पिनाका MK-2। पिनाका-2 की रेंज को गाइडेड रॉकेट्स के साथ बढ़ाया गया है। पिनाका-2 ने यूजर ट्रायल्स को पूरा कर लिया है। हालांकि, अभी तक इनका उत्पादन शुरू नहीं हुआ है।
निर्यात जारी रहेगा
पिनाका-1 की पहली रेजीमेंट भारतीय सेना में फरवरी 2000 में तैयार हुई थी। लेकिन, इसका उत्पादन अभी जारी है। सेना की ओर से 10 पिनाका-1 के साथ रेजीमेंट्स को तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सिस्टम प्रोडक्शन के अलावा पिनाका-1 रॉकेट की उत्पादन क्षमता को भी तैयार किया गया है। हर साल पांच हजार सिस्टम का उत्पादन हो सकेगा। इसकी वजह से भारत बिना किसी प्रभाव के इनका निर्यात भी कर सकेगा और उसकी रक्षा तैयारियों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
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खासियत
पिनाका Mk-1 एक फ्री-फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट एरिया बॉम्बार्डमेंट सिस्टम है जिसकी रेंज 38 किलोमीटर है।
यह तेजी से उच्च क्षमता के साथ फायरिंग करता है।
एक पिनाका सिस्टम 44 सेकेंड्स के अंदर 12 रॉकेट्स एक साथ फायर कर सकता है।
इसकी बैटरी एक बार में 72 रॉकेट्स फायर कर सकती है।
214 एमएम बोर वाले पिनाका रॉकेट करीब 100 किलो तक का बारूद सह सकता है।
इसके अलग-अलग हथियारों जैसे एंटी-टैंक माइन्स पर फिट किया जा सकता है।
पिनाका की एक बैटरी में छह लॉन्चर्स, छह लोडर और रिफिलिंग वाहन, तीन रिफिलिंग वाहन और एक कमांड पोस्ट व्हीकल होता है जो फायर कंट्रोल कंप्यूटर और एक मौसम संबंध रडार होती है।
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