BRI प्रोजेक्ट को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का यूरोपियन कंट्री में बड़ा अपमान हुआ है। चीन के बेल्ट एंड रोड (BRI)परियोजना से यूरोप के एक प्रमुख देश इटली ने तौबा कर लिया है। इटली का मानना है कि उसे बीआरआई परियोजना से कोई फायदा नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं इटली ने अब चीन और BRI कंपनी के खिलाफ शख्त कदम उठाने का मन बना लिया है।
इटली ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्ट बेल्ट एंड रोड(BRI) से पीछे हटने का मन बना लिया है।इटली के इस निर्णय को चीन के लिए बड़ा अपमान माना जा रहा है,कहा जा रहा है कि इटली के इस फैसले से जिनपिंग की बड़ी बेइज्जती हुई है।
दरअसल, चीन की मंशा थी कि इटली के जरिए यूरोपियन देशों में घुसने का रास्ता साफ कर लिया जाए। ड्रैगन के इस प्लान को इटली ने फेल कर दिया है।
जानकारो का कहना है कि इटली का यह ऐलान यूरोप की सरकारों के चीन पर बढ़ती आर्थिक निर्भरता के प्रति चिंता को दर्शाता है। चीन के खोखले वादे के कारण अब इटली ने ड्रैगन के प्रति सख्ती बरतना शुरू कर दिया है।
अमेरिकी पत्रिका के मुताबिक इटली ने जब BRI प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किया था तो इसे अमेरिका के खिलाफ चीन की बड़ी राजनीतिक जीत के रूप में देखा गया था। असल में चीन लंबे समय से यूरोप में अपने आर्थिक ‘साम्राज्य’ को बढ़ाना चाहता था। इसके लिए उसने बीआरआई के जरिए यूरोप में आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में जमकर पैसा भी लगाया। हालांकि यूरोप की ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने चीन इस बीआरआई प्रॉजेक्ट पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था।
‘जिनपिंग के लिए अपमानित करने वाला फैसला
साल 2019 में इटली ने अपने साथी यूरोपीय देशों से अलग रुख अपनाते हुए बीआरआई का हिस्सा बनने का ऐलान किया था। इटली ऐसा करने वाला जी7 का अकेला सदस्य देश था। अब इटली ने बीआरआई से हटने का ऐलान करके चीन के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। वह भी तब जब चीन बीआरआई के 10 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है।
अमेरिका के स्टिमंसन सेंटर में चाइना प्रोग्राम के डायरेक्टर यून सून कहते हैं, ‘यह चीन के लिए बहुत बड़े अपमान की तरह से है।’ उन्होंने कहा कि चीन दुनिया को यह दिखाता था कि उसके बीआरआई पर यूरोपीय देश ने भी हस्ताक्षर किया है और इसमें उसे गर्व की अनुभूति होती थी। सून ने कहा कि इटली का अब सार्वजनिक रूप से बीआरआई से हटने का ऐलान मैं समझता हूं कि चीनी इस फैसले को एक बड़े अपराध के रूप में लेंगे। चीन बीआरआई के जरिए दुनियाभर में अपना जहां प्रभाव बढ़ा रहा है, वहीं कई देश इससे कर्ज के महासंकट में चले गए हैं।
इटली ने BRI से किया तौबा
बीआरआई की वजह से श्रीलंका डिफॉल्टर हो गया। पाकिस्तान पर आर्थिक संकट और डिफ़ॉल्टर का ख़तरा मंडरा रहा है। कई अफ्रिकन कंट्री हैं,जिसे बीआरआई के कारण कर्ज के तले डूबा हुआ है। इटली के अलावा यूरोपीय संघ के दो तिहाई सदस्य देश बीआरआई में शामिल हुए हैं जिसमें ज्यादातर पूर्वी इलाके के देश हैं। ये देश चीन के निवेश का फायदा उठाकर तेजी से विकास करना चाहते थे। इनमें से इटली भी एक देश था। अब 4 साल के बाद इन देशों को बीआरआई से जुड़कर कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है।
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