अमेरिका (America) के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने मंगलवार को ऐलान किया कि ऑस्ट्रेलिया की जमीन, हवा और समंदर में अमेरिकी सेनाओं की मौजूदगी में इजाफा किया जाएगा। रक्षा मंत्री सालाना आयोजित होने वाले AUSMIN सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों इस बात पर रजामंद हुए हैं कि वह जापान को भी इस मुहिम में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे। हालांकि ऑस्टिन ने ज्यादा जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। लॉयड ऑस्टिन की मानें तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया में बॉम्बर एयरक्राफ्ट और फाइटर जेट्स की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
चीन को मिलेगा करारा जवाब
ऑस्टिन ने उन्होंने ये नहीं बताया कि किस तरह से जवानों की अदला-बदली होगी या फिर कितनी वॉरशिप्स और एयरक्राफ्ट इसमें शामिल होंगे। यह बात फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाई नया ऐलान पूर्व में हुई घोषणा की तुलना में कितना अलग है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही एक साझा नजरिया रखते हैं जहां पर हर देश अपना भविष्य तय कर सके। इस दौरान उनके साथ ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मारलेस भी मौजूद थे।
तैनात होंगे बॉम्बर
अक्टूबर में एक सूत्र की तरफ से बताया गया था कि अमेरिका की योजना उत्तरी ऑस्ट्रेलिया स्थित एयरबेस में छह परमाणु क्षमता वाले बी-52 बॉम्बर्स तैनात करने की है। साल 2021 में अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया ने AUSMIN वार्ता के तहत ही एक सुरक्षा डील की थी। इस डील को AUKUS का नाम दिया गया था। इस डील के बाद ऑस्ट्रेलिया को वह तकनीक हासिल हो सकेगी जिसके तहत परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया जा सकेगा।
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ताइवान हुआ और सुरक्षित
ऑस्टिन ने कहा कि इसकी वजह से क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया को एक ऐसे साझीदार के तौर पर देखता है जो चीन को पीछे धकेलने की कोशिशों में मददगार साबित हो रहा है। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार आक्रामक बना हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो ताइवान की रक्षा में ऑस्ट्रेलिया बड़ा रोल अदा कर सकता है।
अगर चीन ने ताइवान पर कब्जा किया या इसकी कोशिश की तो ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर अमेरिका उसे तगड़ा जवाब देने में कारगर साबित होगी। ऑस्ट्रेलिया की उत्तरी सीमा में पहले ही अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। हजारों अमेरिकी मैरीन्स ट्रेनिंग और ज्वॉइन्ट एक्सरसाइज के लिए हर साल ऑस्ट्रेलिया आते हैं। यह प्रक्रिया पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में शुरू हुई थी।
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