दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना वाला चीन (China) तेजी से अपनी शक्ति बढ़ा रहा है। चीनी वायु सेना की योजना 2035 तक 500 की संख्या में जे-20 माइटी ड्रैगन लड़ाकू विमान बनाने की है। जे-20 चीन का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान है। यह स्टील्थ तकनीक से लैस है, जो आसानी से रडार की पकड़ में नहीं आता है। वर्तमान में चीन के पास 150 की संख्या में जे-20 लड़ाकू विमान हैं। वह दूसरे पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान शेनयांग एफसी-31 गायरफाल्कन पर तेजी से काम कर रहा है। ऐसे में भारत के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। भारतीय वायु सेना के पास अभी तक एक भी पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है।
चीन (China) के पास पांचवी पीढ़ी के दो लड़ाकू विमान होने के कारण उसे बाहर से किसी विमान के आयात की जरूरत नहीं है। वहीं, भारत एकमात्र प्रमुख देश है जो अभी भी पांचवीं पीढ़ी के विमान का संभावित खरीदार हो सकता है। सैन्य शक्ति के मामले में भारत चौथी सबसे बड़ी ताकत है और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। लेकिन, अब भी भारत का लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके1 प्रोडक्शन के चरण में है। वहीं, पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को उड़ान भरने में लगभग 7-8 साल का समय लग सकता है। ऐसे में अगर भारतीय वायु सेना पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान को पाने का विचार कर रही है तो उसमें 15 साल का समय लग सकता है।
ऐसे में भारत के सामने सबसे अमेरिका या चीन से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को खरीदने का आसान विकल्प मौजूद है। अमेरिका ने औपचारिक रूप से भारत को F-35 विमान की पेशकश नहीं की है, लेकिन वह एरो इंडिया शो में दो बार अपने इस विमान को भेज चुका है। वहीं, रूस अपने सुखोई एसयू-75 चेकमेट को भारत को ऑफर कर चुका है। इसके अलावा रूस ने एसयू-57 को भी भारत को देने की पेशकश की है। अगर भारत रूस से लड़ाकू विमानों की खरीद करता है तो इससे अमेरिका के नाराज होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा भारत अमेरिका या पश्चिमी देशों के हथियारों को इन विमानों पर तैनात भी नहीं कर पाएगा।
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भारत अगर चाहे तो वह अमेरिका से एफ-35 का एक्सपोर्ट वेरिएंट खरीद सकता है। अमेरिका इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान बताता है। हालांकि, इस लड़ाकू विमान की क्षमता को युद्ध में साबित नहीं किया गया है। इसके अलावा एफ-35 लड़ाकू विमान को खरीदने वाले देश भी इसके प्रदर्शन से खुश नहीं है। दक्षिण कोरियाई वायु सेना ने अपनी संसद में एफ-35 के प्रदर्शन को लेकर निराशा जाहिर की थी। हालांकि, यह वास्तविक रूप से स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिसे दुनिया के बहुत कम रडार ही डिटेक्ट कर सकते हैं।
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