China में बगावत! शी जिनपिंग को राष्ट्रपति पद से उखाड़ने की मुहिम, बीजिंग में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ खबरें गरम!

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चीन के राष्ट्रपतिशी जिनपिंग कितना भी लोगों की आवाज दबा ले लेकिन अब ऐसा लगता है कि यहां पर लोगों ने सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तय कर लिया है। क्योंकि, इन दिनों चीन में अंदर ही अदंर लोग जमकर शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। लेकिन, ये बात किसी भी चीनी मीडिया में नहीं दिखाया जा रहा है। दरअसल, चीन में बहुत जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है और शी जिनपिंग फिलहाल राष्ट्रपति की कुर्सी पर तीसरी बार बैठना चाहते हैं। लेकिन, इस बार उनके लिए सफर कई मुस्किलों से भरा होगा।</p>
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शी जिनपिंग के खिलाफ बगावत की आंधी ऐसे ही नहीं बही है बल्कि, इसके पीछे भी राष्ट्रपति ही हैं। दरअसल, कोरोना महामारी में चीन सराकर द्वारा लगाई गई जीरो कोविड पॉलिसी के चलते लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान लोग अपने घरों में पैक हो गए। उन्हें बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी थी। जिसके चलते लोग कई हफ्तों तक भूखे प्यासे अपने घरों में पैक थे। सरकार की ओर से कोई प्रबंध नहीं किया गया। इसके अलावा भी कई सारी चीजें हैं जिसके चलते जनता आक्रोशित है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, लोगों का कहना है जिनपिंग ने चीन को पीछे धकेल दिया है। कोरोना महामारी में गलत तरीके से रकथाम करके चीन की अपूरणीय क्षति की है। इसके साथ ही लोगों ने कहा है कि, जिनपिंग ने शंघाई जैसे शहरों को अपनी मर्जी से बंदकर इकॉनमी को नष्ट कर दिया है।</p>
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एएनआई की एक रिपोर्ट की माने तो, चीन की एक बड़ी आबादी शी जिनपिंग से नाराज है और लोग परिवर्तन चाहते हैं। अभियान चला रहे लोगों ने एक कैंपेन की शुरुआत की है। इसके तहत मानवता के खिलाफ जिनपिंग के अपराधों के बारे में वीडियो बनाकर साझा करने की अपील की गई है। चीन में रह रहे लोगों से ऐसा करते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। चीनी लोगों से अपील की गई है कि वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मौजूदा स्थिति में बारे में बताए औए जिनपिंग को सत्ता से हटाएं। इसके साथ ही कानून और सैन्य कर्मियों के सहयोगी न बनने की अपील की गई है। इस अभियान में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की अपील की गई है। इसके साथ ही, अभियान चला रहे लोगों ने नागरिकों से भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत जमा करने की अपील की है। यह अभियान ऐसे वक्त में शुरू हुआ है जब चीन में शी जिनपिंग की पकड़ कमजोर हुई है और कोरोना वायरस, इकॉनमी और निवेश को लेकर शी जिनपिंग पर सवाल उठ रहे हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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