अमेरिका में हाउस स्पीकर नैंसी पैलोसी जिद पर अब नया ड्रामा देखने को मिल सकता है। नैंन पैलोसी ने कहा है कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाया जाएगा। हालांकि महाभियोग की प्रक्रिया बहुत लंबी होती है, इसलिए अमेरिकी सांसद अभी से इस मुद्दे पर दो हिस्सों में बंट गए हैं। इससे पहले नैंसी पैलोसी ने उप राष्ट्रपति माइक पैंस से कहा था कि वो आर्टिकल 25 के तहत राष्ट्रपति को हटाने प्रस्ताव पेश करें। लेकिन माइक पेंस ने जवाब दिया कि वो ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे। इसी बीच जैसे ही ट्रंप ने कहा कि वो जो बाइडेन के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे वैसे ही नैंसी पैलोसी ने ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ को चिट्ठी लिख कर न्यूक्लियर बटन के इस्तेमाल पर रोक का आग्रह किया। हालांकि नैंसी पैलोसी की सक्रिएता को भी अमेरिका में सही नहीं माना जा रहा है। लोगों का कहना है नैंसी अब ट्रंप को 'सनकी' साबित करके अमेरिका का ही नुकसान कर रही हैं।
बहरहाल, डेमोक्रेट सांसद चाहते हैं कि राष्ट्रपति पद से ट्रंप की विदाई से जल्द से जल्द हो और संविधान में इस तरह के प्रावधान बनाए जाएं जिससे ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव न लड़ सकें। डेमोक्रेट सांसदों का मानना है कि ट्रंप के भड़काऊ भाषण के चलते ही यूएस कैपिटल में उनके समर्थकों ने फसाद किया जिसमें एक महिला सहित पांच लोगों की मौत हुई। कुछ रिपब्लिकन सांसद भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने के समर्थन में हैं।
ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने की बहस के बीच अमेरिकी सांसदों का एक धड़ा इससे सहमत नहीं है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों का मानना है कि ट्रंप को हटाने के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करना अच्छा कदम नहीं होगा, ऐसे में जब वह खुद 20 जनवरी को अपने पद से हट रहे हैं। महाभियोग लाने की प्रक्रिया लंबी होती है और इससे अमेरिका को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। लेकिन स्पीकर पेलोसी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है। उनका मानना है कि ट्रंप आगे चलकर एक बड़ा 'खतरा' साबित हो सकते हैं।
अमेरिकी संविधान राष्ट्रपति को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले महाभियोग लाकर उसे हटाने की व्यवस्था देता है। 'देशद्रोह, भ्रष्टाचार, अपराध एवं अमर्यादित आचरण' के आरोपों पर राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। अमेरिका में अभी तक दो राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग चलाया गया है। साल 1968 में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन और वर्ष 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग लाया गया हालांकि दोनों राष्ट्रपतियों के खिलाफ लाया गया महाभियोग गिर गया और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। जबकि साल 1974 में महाभियोग से बचने के लिए राष्ट्रपति रिचर्ड एम. निक्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
राष्ट्रपति पर लगे आरोपों पर एक समिति जांच करती है। अपनी जांच पूरी करने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट न्यायिक समिति के पास भेजेती है। समिति की रिपोर्ट में दो बातें होती या तो वह कहती है कि राष्ट्रपति के खिलाफ लगे आरोपों पर पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इस सिफारिश पर राष्ट्रपति को कोई खतरा नहीं होता है और वह अपने पद पर बने रहते हैं। समिति यदि अपनी रिपोर्ट में यदि यह कहती है कि राष्ट्रपति के खिलाफ लगे आरोप सही मालूम पड़ते हैं तो महाभियोग की कार्रवाई आगे बढ़ती है।
इसके बाद यहर रिपोर्ट हाउस में पेश होती है जिस पर सदन मतदान करता है। सदन में महाभियोग के समर्थन में यदि बहुमत नहीं मिलता है तो यह गिर जाता है। यदि सदन बहुमत से महाभियोग के पक्ष में मतदान करता है तो यह प्रक्रिया फिर आगे बढ़ती है। इसके बाद महाभियोग की प्रक्रिया सीनेट में शुरू होती है।
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