चीन और नेपालः गायब बाउंड्री पिलर्स और चीनी कब्जा

पिछले दो महीनों से नेपाल और चीन की सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है। बार-बार खबरें आ रहीं हैं कि चीन ने नेपाल की करीब 150 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है। नेपाल में मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने इसका जमकर विरोध करते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनकी सरकार से जवाब भी मांगा। नेपाली कांग्रेस पार्टी के सांसद जीवन बहादुर शाही के मुताबिक नेपाल के पांच सीमावर्ती जिलों में चीन ने अपना अतिक्रमण जारी रखा है।

हालांकि ये कोशिशें चीन 2009 से कर रहा है। लेकिन इस साल भारत और चीन के बीच सीमा पर हुई झड़प के बाद, इन घटनाओं में फिर तेजी आई है। सांसद शाही के मुताबिक, "विशेषज्ञों की टीम वहां गई थी। हम भी गए थे और हमने पाया कि चीन ने कई जगहों पर बांउड्री पिलर्स हटा कर एक-डेढ़ किलोमीटर तक नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है।" उल्लेखनीय है कि 1960 के दशक में हुए सर्वे के बाद नेपाल ने चीन के साथ सीमा निर्धारण के लिए सौ बाउंड्री पिलर का निर्माण किया था।

नेपाल और तिब्बत (चीन) के सीमावर्ती हुमला,गोरखा,रसुआ,सिंधुपालचौक और संकुआसभा ऐसे जिले हैं, जिनमें बाड़ नहीं लगी है। इस सीमा पर पत्थर के पिलर्स हैं, जिन्हें बाउंड्री पिलर्स कहा जाता है। ये बाउंड्री पिलर्स ही तिब्बत (चीन) और नेपाल की सीमाएं निर्धारित करते हैं। नेपाल ने कभी भी अपनी सेना वहां तैनात नहीं की। नेपाली अखबार कांतिपुर पोस्ट में 23 सितबंर को छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना (पीएलए) ने नेपाल के हुमला जिले में करीब 1 किमी. अंदर घुस कर 9 पक्की इमारतें बना ली हैं।

खबर मिलने पर नेपाली सरकार की टीम ने वहां पहुंचकर पाया कि चीन और नेपाल की सीमा पर कई बाउंड्री पिलर्स गायब हैं। चीनी सैनिकों ने टीम को बताया कि उनकी इमारतें चीन की सीमा में ही हैं। और यही नहीं, चीन की सीमा करीब और 2 किमी.और अंदर तक है। इसके बाद एक और टीम नेपाली सरकार की तरफ से भेजी गई। लेकिन इस बार वहां तैनात चीनी सैनिकों ने लाउडीस्पीकर पर उन्हें साफ कह दिया कि यह चीन का इलाका है और फौरन यहां से वापस जाएं।

<img class="wp-image-16790" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/नरवणे-नेपाल-पहुंचे-1024×680.jpg" alt="Indian Army Chief General Manoj Mukund Narwane arrived in Kathmandu on a three-day visit to Nepal on Wednesday" width="444" height="295" /> भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे नेपाल की तीन दिन की यात्रा पर काठमांडू पहुंचे थे।

नेपाली मीडिया में इन खबरों के आने के बाद काठमांडू स्थित चीन के दूतावास ने कई बयान जारी किए। जिनमें कहा गया कि चीन ने कोई कब्जा नहीं किया है और नेपाली मीडिया को भारत के बहकावे में नहीं आना चाहिए। इस बीच नेपाल के लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने भी सरकार को आगाह किया कि सीमा पर 10 से भी ज्यादा बाउंड्री पिलर्स गायब हैं और चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है। नेपाली जानकारों के मुताबिक इन जगहों पर नेपाल ने कभी सैनिकों को तैनात नहीं किया। ये इलाके भी नेपाल के गांवों से दूर पहाड़ों पर है, जहां गांव वाले नहीं जाते। एक बार फिर टीम भेजी गई, लेकिन उसकी रिपोर्ट का इंतजार, आज भी वहां की मीडिया और विपक्षी पार्टियों को है।

कुछ दिन पहले, 2 नवबंर को ब्रिटेन के अखबार <strong>द टेलीग्राफ</strong> में छपी रिपोर्ट ने इस मुद्दे को फिर गरमा दिया है। जिसमें कहा गया है कि चीन, नेपाल की करीब 170 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किए बैठा है। अखबार द टेलीग्राफ ने कई नेपाली नेताओं से हुई बातचीत के हवाले से बताया कि नेपाल के उत्‍तरी-पश्चिमी जिले हुमला में चीनी सेना ने लिमी घाटी और हिल्‍सा को पार कर बाउंड्री पिलर को उखाड़कर उसे और ज्‍यादा नेपाली इलाके में पीछे कर दिया है। इसके बाद चीनी सेना अब इस इलाके में अपने ठिकाना बना रही है। अखबार का दावा है कि उसने चीनी सेना के सैन्‍य ठिकाने की तस्‍वीरें देखी हैं। नेपाल और तिब्बत के बीच का सदियों पुराना व्यापार का रास्ता इसी जमीन से गुजरता है और अब यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी <strong>वन बेल्ट वन रोड</strong> प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

<img class="wp-image-17416" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/ओली-1024×787.jpg" alt="K.P. Sharma Oli." width="450" height="346" /> नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली

रिपोर्ट के मुताबिक न केवल हुमला में बल्कि नेपाल के चार और सीमावर्ती जिलों में चीन काफी अंदर तक घुस चुका है। एक जगह पर तो पतली संकरी नदी का बहाव नेपाल की तरफ मोड़ दिया गया। यह नदी नेपाल और चीन की प्राकृतिक सीमा मानी जाती है। नेपाल सरकार की टीम जब मौके का मुआयना करने वहां पहुंची तो चीनी सैनिकों ने आंसू गैस के गोले दागे और पथराव कर उन्हें भगा दिया। नेपाली जानकारों के मुताबिक यह सब नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार की लापरवाही से हो रहा है। उनका मानना है चीन की संस्था <strong>United Front Work Department of the Central Committee of the Chinese Communist Party (UFWD)</strong> नेपाल में काफी सक्रिय है।

काठमांडू स्थित चीनी दूतावास और राजदूत की पैठ नेपाल की सरकार और उसकी अंदरुनी राजनीति तक पहुंच गई है। यूएफडब्ल्यूडी (UFWD) चीन की सबसे तेज तर्रार संस्था है, जो विदेशों में चीन की खिलाफत करने वालों पर नजर रखती है। साथ ही सरकार और प्रभावशाली लोगों के बीच चीन के लिए समर्थन जुटाने का काम करती है। मौजूदा सरकार में शामिल दो गुटों में भी बीच-बचाव नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी कर रही हैं। यही नहीं नेपाल को भारत के खिलाफ उकसाने का काम कर रही हैं। विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के सांसद शाही का कहना है कि मौजूदा सरकार चीन के सामने पूरी तरह सरेंडर कर चुकी है। नेपाल के लोगों का ध्यान बंटाने के लिए मौजूदा सरकार में शामिल 21 वामपंथी पार्टियों ने पिछले महीने भारत के खिलाफ अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए रैली निकाली थी।

लेकिन शायद नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी अपनी गलतियों का अहसास हो रहा है। पिछले दिनों भारतीय सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि दी गई है। जनरल नरवणे और पीएम केपी शर्मा ओली की मुलाकात के दौरान ओली ने कहा था कि दोनों देश बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझा सकते हैं। दोनों का रिश्ता सदियों पुराना और खास है। भारत और नेपाल की सीमा पर करीब 8550 बांउड्री पिलर्स है। इन्हें दोस्ती का पिलर्स माना जाता है। इन्हें और मजबूत करने और आधिकारिक बातचीत के लिए भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला 26 नवंबर को काठमांडू जाएंगे।.

डॉ. शफी अयूब खान

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