अंतर्राष्ट्रीय

BRI पर China से बिदकते देश, इटली के बाद अब EU की बारी

जब से जियोर्जिया मेलोनी ने इटली के नये प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ख़िलाफ़ हंगामा और तेज़ हो गया है। अब सुगबुगाहट इतनी तेज़ हो गयी है कि इसका असर न सिर्फ़ इटली, बल्कि यूरोप के चीन के साथ संबंधों पर भी पड़ने वाला है।

इतालवी रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने इतालवी समाचार पत्र कोरिएरे डेला सेरा को बताया, “[नए] सिल्क रोड में शामिल होने का निर्णय एक तात्कालिक और नृशंस कार्य था।”  क्रोसेटो बीआरआई का आलोचक है,क्योंकि जहां चीन को इटली के निर्यात में केवल मामूली वृद्धि देखी गयी है, वहीं इटली को चीनी निर्यात तीन गुना बढ़ गया है।

क्रोसेटो की टिप्पणियों को व्यापक रूप से महत्व मिला है।

इटली एकमात्र ऐसा पश्चिमी देश था, जिसने चीन के विशाल BRI पर हस्ताक्षर किये थे, जो कई महाद्वीपों को सड़कों, रेलवे लाइनों और बंदरगाहों से जोड़ता है। BRI ने चीन को दुनिया भर में अपना माल निर्यात करने में मदद की है, लेकिन इटली की तरह सभी देशों को इससे लाभ नहीं हुआ है।

इतालवी मंत्री ने अख़बार को बताया कि दुविधा यह है कि बीजिंग के साथ संबंधों को नुक़सान पहुंचाये बिना BRI से कैसे बाहर निकला जाये।

क्रोसेटो ने वही कुछ किया, जो प्रधानमंत्री मेलोनी कुछ समय से कह रहे हैं। वह ताइवान के साथ व्यापार संबंधों को मज़बूत करने पर काम कर रही है, जिसके बदले में उसने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मिलान, इटली में दूसरा प्रतिनिधि कार्यालय खोला है। अपनी ओर से इटली चाहता है कि ताइवान इटली में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधायें स्थापित करे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे के साथ BRI समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए इटली की यात्रा की थी। बीआरआई में शामिल होने के इटली के इस फ़ैसले ने पश्चिमी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया, जिसने भारत की तरह ही इस पहल से इनकार कर दिया था।

रोम के बीआरआई से अलग होने के फ़ैसले से यूरोप में चीन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

जर्मनी हैम्बर्ग बंदरगाह पर अपने टोलरॉर्ट टर्मिनल में चीनी राज्य फ़र्म कॉस्को को 24.9 प्रतिशत हिस्सेदारी देने के अपने वादे पर फिर से विचार कर रहा है। इस साल अप्रैल में जर्मनी ने हैम्बर्ग बंदरगाह को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया था और चीनी कंपनी के लिए हिस्सेदारी कम करने का फ़ैसला किया।

बर्लिन अपने छोटे पड़ोसी ताइवान के साथ चीन की मज़बूत रणनीति की भी आलोचना करता रहा है, जिसे बीजिंग मुख्य भूमि के साथ ‘एकजुट’ करना चाहता है।

यूरोपीय संघ (EU) के बीच चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता के साथ-साथ बीजिंग की विदेश नीतियों को लेकर स्पष्ट बेचैनी है। जबकि यूरोपीय संघ के देशों के बीच चीन से जोखिम कम करने को लेकर आम सहमति बन रही है, लेकिन हर कोई इस पर सहमत नहीं है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद यूरोपीय देशों को भी झटका लगा, जहां उन्हें रूसी ऊर्जा आलिंगन से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

इस साल जून में ब्रुसेल्स ने अंततः अपना पहला आर्थिक सुरक्षा प्रस्ताव जारी किया, जिसका उद्देश्य चीन पर आर्थिक निर्भरता को कम करना है। यह आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला बनाने, आउटबाउंड निवेश को स्क्रीन करने और संभवतः यूरोपीय 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनियों को फ़िल्टर करने पर केंद्रित है।

Rahul Kumar

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