रमजान (Ramadan) के पवित्र महीने की शुरुआत हो गई है। रमजान का महीना पूरा होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाएगा। इस्लाम में रमजान को बरकतों का महीना कहा गया है। इस पूरे महीने सभी मुस्लिम रोजा रखने के साथ-साथ कुरान की तिलावत और अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान में सुबह सेहरी खाकर रोजे की शुरुआत होती है, जिसके बाद शाम को इफ्तार करके अपना रोजा खोल लिया जाता है। लेकिन इस दौरान चीन में मुसलमानों के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जा रहा है। जी हां, यहां के मुसलमानों को रोजा प्रतिबंध और निगरानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं चीन में मुसलमानों की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं तेजी से हमले का शिकार हो रही हैं। एक रिपोर्ट के यहां मुस्लिमों को रोजा रखने से रोका जा रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्याचार इस हद तक बढ़ गया है कि मुस्लिमों पर शराब पीने और सूअर का मांस खाने का दबाव बनाया जा रहा है।
RFA रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय अधिकारियों और अधिकार समूहों ने कहा कि शिनजियांग के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में उइगरों को आदेश दिया जा रहा है कि वे अपने बच्चों को रोजा न करने दें, बाद में अधिकारियों की ओर से पूछताछ की गई कि क्या उनके माता-पिता रोजा रख रहे हैं। विश्व उइगर कांग्रेस के प्रवक्ता दिलशात ऋषित ने कहा कि रमजान के दौरान, अधिकारियों ने शिनजियांग के 1,811 गांवों में 24 घंटे निगरानी प्रणाली लागू की है, जिसमें उइगर परिवारों के घर का निरीक्षण भी शामिल है। अधिकार समूहों ने एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि चीन के 1.14 करोड़ हूई मुस्लिम जातीय चीनी समुदायों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने सदियों से अपने मुस्लिम विश्वास को बनाए रखा है, अब इन कठोर धार्मिक नियमों के तहत पूरी तरह से मिटा दिए जाने का खतरा है।
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शी जिनपिंग का नया हमला
RFA रिपोर्ट के मुताबिक नेटवर्क ऑफ चाइनीज ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स (CHRD) समेत अधिकार समूहों के गठबंधन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग की ओर से उन्हें ‘जबरन आत्मसात करने के माध्यम से हल किए जाने वाले खतरे’ के रूप में पहचाना गया है। चीन ने अपने ‘जातीय एकता’ अभियान के साथ मुस्लिम समुदायों को भी निशाना बनाया है, जिसके तहत अधिकारी जातीय अल्पसंख्यक उइगर परिवारों के सदस्यों को शराब पीने और सूअर का मांस खाने सहित गैर-मुस्लिम परंपराओं का पालन करने का दबाव डालते हैं।
आरएफए रिपोर्ट के अनुसार, झिंजियांग में कम से कम 18 लाख उइगरों और अन्य जातीय अल्पसंख्यक मुसलमानों को ‘पुन: शिक्षा’ शिविरों में बड़े पैमाने पर कैद किए जाने, और जबरन श्रम में उनकी भागीदारी के साथ-साथ शिविरों में बलात्कार, यौन शोषण और उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी के बीच एकता नीतियां लागू की गईं हैं।
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