अंतर्राष्ट्रीय

भारत को लगा बड़ा झटका! China ने Nepal को रेलवे, सड़क से लेकर हवा तक में दिया बड़ा ऑफर

नेपाल में भारत और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव से घबराए चीन (China) ने अब इस हिमालयी देश को बड़ा ऑफर दिया है। चीन के दौरे पर पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड के साथ मुलाकात के बाद चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने यह प्रस्‍ताव दिया। चीन ने कहा कि वह नेपाल को अपने बंदरगाहों से जोड़ने, रोड, रेलवे, एविएशन, दूरसंचार और बिजली के क्षेत्र में मदद को तैयार है। चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि नेपाल एक जमीन से घ‍िरा देश है और उसे अपने पड़ोसी देशों के साथ कनेक्‍टविटी को जल्‍द से जल्‍द अपग्रेड करना चाहिए। चीनी प्रधानमंत्री का यह प्रस्‍ताव ऐसे समय पर आया है जब भारत ने नेपाल तक रेल दौड़ा दिया है और कई अन्‍य रोड प्रॉजेक्‍ट पर काम चल रहा है।

प्रचंड के साथ मुलाकात के दौरान चीनी प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को बीआरआई के तहत संयुक्‍त निर्माण किया जाए। उन्‍होंने कहा कि यह सहयोग बढ़ाने का मुख्‍य आधार है। प्रचंड 23 सितंबर से 30 सितंबर तक चीन में ही रहेंगे। चीनी प्रधानमंत्री ली ने कहा कि चीन और नेपाल ने 70 साल से एक दूसरे का सम्‍मान किया है और भरोसा किया है। उन्‍होंने कहा कि चीन दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्‍व के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित करने को लेकर इच्‍छुक है। साथ ही चीन और नेपाल के रिश्‍तों को शिखर पर ले जाया जाए।

चीन की रेल से क्‍यों डर रहा है नेपाल?

चीन (China) ने कहा कि वह नेपाल के गुणवत्‍तापूर्ण कृषि उत्‍पादों को आयात करने का इच्‍छुक है। उन्‍होंने कहा कि चीन नेपाल के साथ शिक्षा, मेडिकल केयर, टूरिज्‍म के क्षेत्र में भी काम करना चाहता है। ग्‍लोबल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रचंड ने चीन के आर्थिक विकास और गरीबी उन्‍मूलन की प्रशंसा की। उन्‍होंने कहा कि नेपाल एक चीन नीति का पालन करता है। पीएम प्रचंड ने कहा कि नेपाल अपनी जमीन का इस्‍तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होने देगा। नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश बीआरआई के तहत चीन के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है। इस दौरान चीन और नेपाल के बीच 10 समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुआ।

यह भी पढ़ें: Nepal में मज़बूत हुआ America! लोकतंत्र के नाम पर दिया 20 मिलियन डॉलर, मुँह ताकता रह गया चीन

दरअसल, चीन (China) चाहता है कि नेपाल तक रेल दौड़ाई जाए और इसे बीआरआई के तहत अंजाम दिया जाए। वहीं नेपाल को डर सता रहा है कि हिमालय के अंदर से रेल दौड़ाने में अरबों डॉलर का खर्च आएगा और इसका पैसा नेपाल को चुकाना पड़ेगा। इससे नेपाल श्रीलंका और पाकिस्‍तान की तरह से कर्ज के जाल में फंस सकता है। यही वजह है कि प्रचंड ने चीन से मांग की है कि बीआरआई प्रॉजेक्‍ट को कर्ज की बजाय ग्रांट के जरिए पूरा किया जाए। इसके लिए चीन अभी तैयार होता नहीं दिख रहा है। वहीं भारत और अमेरिका ने नेपाल को करोड़ों डॉलर की मदद दी है। नेपाल में अमेरिका का एमसीसी प्रॉजेक्‍ट शुरू हो गया है। इससे भी चीन भड़का हुआ है। भारत नेपाल तक सड़क और रेल बना रहा है।

आईएन ब्यूरो

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