दोस्ती के बदले China ने Putin के पीठ में घोंपा खंजर! यूक्रेन जंग से मिला मौका हाथ से नहीं जाने देगा, बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा…

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रूस इस वक्त यूक्रेन पर जमकर मिसाइलें बरसा रहा है। रूसी सैनिक लगातार यूक्रेन पर हमला कर आगे बढ़ रहे हैं। इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदोमीर जेलेंस्की का कहना है कि, रूसी किसी भी वक्त परमाणु हमला कर सकता है। इस हमले को रोकने के लिए अमेरिका, नाटो और पूरा पश्चिमी देश पूरी कोशिश कर रहा है जिसके लिए रूस पर कड़े से कड़े प्रतिबंध लगा रहा है। रूस संग अपने व्यापार को निरस्त कर रहा है। साथ ही दुनिया से रूसी हथियारों और तेलों को बहिष्कार करने के लिए कह रहा है। इस बीच इस जंग से चीन को सबसे बड़ा फायदा हो सकता है और वो दुनिया में एक मामले में सबसे ऊपर आ सकता है</p>
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दरअसल, एक रिपोर्ट की माने तो रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हथियार बेचने के मामले में बीजिंग झलांग लगा सकता है। चीन के लिए बिक्री के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। इस वक्त चीन दुनिया में चौथा सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक देश है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2017-21 के बीच चीन ने अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात का 4.6 फीसद बेचा। हालांकि यह पिछले पांच साल की 6.4 फीसद की तुलना में 31 फीसद की गिरावट है।</p>
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2017-21 के बीच हथियार बेचने के मामले में अमेरिका पहले, रूस दूसरे, फ्रांस तीसरे और चीन चौथे स्थान पर है। चीन ने जर्मनी, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। चीन ने अपने कुल निर्यात का 47 फीसद पाकिस्तान, 16 फीसद बांग्लादेश और 5 फीसद थाईलैंड को किया है। चीन पर इस्लामाबाद की निर्भरता का प्रमुख कारण अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंध हैं।</p>
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इसके साथ ही हथियार खरीदने के भी मामले में टीन सबसे उपर है। भारत, सऊदी अरब मिस्र और ऑस्ट्रेलिया के बाद चीन ङथियार खरीदने के मामले में पांचवें स्थान पर है। 2012-16 के 4.8 फीसद की तुलना में चीन ने 2017-21 के बीच 4.4 फीसद हथियार आयात किए। चीन के सबसे हालिया आयात का 81 फीसद रूस से आया, जबकि 9.1 फीसद फ्रांस से और 5.9 फीसद यूक्रेन से आया।</p>
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एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस की बिक्री प्रभावित होगी। ऐसे में चीन अपने लिए हथियार बेचने के बाजार में जगह और बढ़ा सकता है। हथियारों की बिक्री पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट जॉन एस वान औडेनरेन ने कहा है कि, एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में रूस के ग्राहकों को देखते हुए चीन इस अंतर को भरने के लिए एक तार्किक उम्मीदवार प्रतीत होगा। हालांकि यह एकदम से चीन के पक्ष में नहीं हो जाएंगे लेकिन एक बड़ा हिस्सा चीन के पक्ष में जा सकता है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, हमें यह भी देखना चाहिए की चीन के दो सबसे प्रमुख ग्राहक भारत और वियतनाम हैं जो कभी भी चीन से हथियार नहीं खरीदेंगे। लेकिन, मिस्र और अल्जीरिया जैसे देश चीन की ओर देख सकते हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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