China Increases Activities In Nepal: नेपाल में नई सरकार के आने के बाद से ही चीन एक्टिव हो गया था और अपनी कई सारी परियोजनाएं लागू करना शुरू कर दिया। चीन का मकसद है नेपाल को अपने चंगुल में फंसा लेना और श्रीलंका-पाकिस्तान जैसे हाल कर देना। लेकिन नेपाल खुद हलाल होने के लिए चीन (China Increases Activities In Nepal) के आगे खड़ा हो गया है। नेपाल को ये बात समझना चाहिए कि, जब भी उसे जरूरत पड़ी है उसके सामने हमेशा भारत खड़ा हुआ है। यहां तक कि हिंदुस्तान की आर्मी गोरखा रेजिमेंट भी है जिसमें सिर्फ नेपाली ही हैं। नेपाल में माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही चीन (China Increases Activities In Nepal) की गतिविधियां बढ़ गई हैं। चीनी दूतावास इस हिमालयी राष्ट्र क आतंरिक मामलों में भी दखल करने लगा है।
चीन के लिए प्रचंड ने खोली बाहें
प्रचंड ने 26 दिसबंर 2022 को शपथ ली थी। इसी दिन माओवादियों के वैचारिक पिता माओत्से तुंग की 130वीं जयंती भी थी। नेपाली मीडिया में चर्चा है कि प्रचंड को प्रधानमंत्री बनवाने के पीछे चीन का ही हाथ था। चीन के ही इशारे पर प्रचंड के धुर विरोधी और पुराने दुश्मन केपी शर्मा ओली ने समर्थन का ऐलान किया था। जुलाई 2021 में प्रचंड के ही पीछे हटने के कारण ओली को प्रधानमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। ओली को पुराना चीन समर्थक नेता माना जाता है। एपरडाफास की रिपोर्ट की माने तो, 20 नवंबार को हुए चुनावों और माओवादी राष्ट्रपति पुष्पा कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद नेपाल में चीन का हस्तक्षेप अधिक स्पष्ट हो गया है। इससे पता चलता है कि दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव बढ़ाने में नेपाल मददगार साबित हो सकता है। नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुआ था। इसमें पुष्प कमल दहल प्रचंड के माओवादी सेंटर को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 32 सीटें मिली थी। वह नेपाल की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, प्रधानमंत्री पद की चाहत के कारण प्रचंड का पूर्व सहयोगी नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा से अलग हो गये।
नहीं संभला नेपाल तो श्रीलंका जैसे होंगे हालात
पुष्प कमल दहल प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद अगर सबसे पहले किसी ने बढ़ाई दिया तो वो था काठमांडू में चीनी दूतावास। शपथग्रहण के दिन (26 दिसंबर) को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि, नेपाल के पारंपरिक मित्र और पड़ोसी के रूप में चीन नेपाल के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है। हम मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाने और उच्छ गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नई नेपाली सरकार के साथ मिलकर काम करने की आशा करते हैं। विकास और समृद्धि के लिए एक स्थायी दोस्ती की विशेषता वाली हमारी सामरिक सहकारी साझेदारी को नई गति दी जाए और हमारे दोनों लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले।
नेपाल पर चीन कर रहा कब्जा
अब चीन नेपाल में एक्टिव हो गया है। ड्रगैन ने काठमांडू-केरुंग रेलवे का विस्तृत अध्ययन करने के लिए 27 दिसंबर, 2022 को एक चीनी विशेषज्ञ टीम नेपाल पहुंची। केरुंग-काठमांडू रेलवे नेपाल में चीन के बीआरआई के तहत नौ विकास परियोजनाओं में से एक है। सत्ता के नशे में चूर प्रचंड को पता ही नहीं है चीन की अगली चाल। यहां तक कि नेपाल के विशेषज्ञ तक चीन के बीआरआई को लेकर चिंता वक्य कर रहे हैं। उनका साफ मानना है कि, नेपाल को ड्रैगन श्रीलंका की तरह कर्ज जाल में फंसाना चाहता है। ये चीन इतना बेशर्म है कि, ये नेपाल जैसे छोटे देश को भी नहीं छोड़ रहा है। हाल के दिनों में चीन ने नेपाल के 10 स्थानों पर 36 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया है।
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