अंतर्राष्ट्रीय

China के ‘डबल गेम’ में फंसा रूस! हथियारों के बाजार पर कब्जा कर ड्रैगन ऐसे Putin को दे रहा धोखा

पूरी दुनिया में शायद ही चीन (China) एकमात्र ऐसा देश हो जो सबसे ज्यादा बेशर्म है। क्योंकि, ड्रैगन के चलते एक दो नहीं बल्कि दुनिया के कई सारे देश परेशान है। चीन ऐसी-ऐसी हरकतें करता है जिसके चलते उसे बेशर्म कहना गलत नहीं होगा। उसका किसी एक देश के साथ विवाद नहीं है बल्कि कई सारे देशों के साथ है। अब वहीं कुछ दिनों पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब रूस पहुंचे तो रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया गया। खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे सीमा से परे दोस्ती कहकर संबोधित किया। रूस को उम्मीद थी कि पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करने के लिए चीन दिल खोलकर मदद करेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। चीन ने न कोई नीतिगत बदलाव किया और ना ही उसके समर्थन में कोई उल्लेखनीय बयान दिए। ऐसे में रूस को पता चला कि दरअसल चीन उसे पीठ पीछे धोखा दे रहा है। चीन का असली मकसद रूस से दोस्ती कर उसके हथियारों के बाजार पर कब्जा करना है।

रूस-चीन के संबंध कितने पुराने

रूस के साथ चीन के आधुनिक संबंध 1920 के दशक से हैं। तब चीनी गृहयुद्ध के दौरान और शाही जापान के खिलाफ लड़ाई में मॉस्को के नए कम्युनिस्ट शासन ने शुरू में माओ की सेना के बजाय कुओमिन्तांग का समर्थन किया था। लेकिन, रूसी तानाशाह स्टालिन ने 1945 में नीति बदलते हुए माओत्से तुंग का समर्थन का ऐलान कर दिया। इसका मकसद सोवियत संघ के पड़ोस में एक कम्युनिस्ट शासन की स्थापना करना था, जो पश्चिमी देशों के खिलाफ आंख मूंदकर उसका समर्थन करे। सोवियत संघ की सहायता से माओ की सेना ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी को हराया था। इसके बाद कुओमिन्तांग के समर्थक मुख्य भूमि को छोड़कर ताइवान चले गए और वहां पर रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम से एक देश की स्थापना की।

रूसी मदद का बदला पूरा कर रहा चीन?

चीन यानी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद सबसे ज्यादा मदद सोवियत संघ ने की। सोवियत संघ ने चीन को कई तरह की सैन्य तकनीकें प्रदान की। इसमें वे प्रणालियां भी शामिल थीं, जिनकी मदद से चीन ने J-5 और J-6 लड़ाकू विमानों के साथ-साथ H-6 बमवर्षक का निर्माण किया। एक सहयोगी देश को अपनी डिजाइनों की नकल करने की अनुमति देकर सोवियत संघ ने खुद के निर्माण पर जोर दिया, बल्कि एक करीबी भागीदार को तकनीकी पर निवेश करने से भी रोकने की कोशिश की। रूस ने कोरियाई युद्ध के दौरान कई देशों को हथियार बेंचा। बाद में शीत युद्ध की शुरुआत के बाद चीन और रूस की रणनीतिक साझेदारी चरमरा गई। इसके बावजूद मिसाइलों और रडार से लेकर युद्धपोतों तक चीन के रक्षा उद्योग पर रूसी मॉडल का भारी प्रभाव पड़ा।

ये भी पढ़े: China को लगा जोर का झटका! अफ्रीका पर ड्रैगन की कब्जे की नापाक चाल फेल

तकनीक चोरी करने में माहिर है चीन

सोवियत संघ के पतन के बाद रूसी कंपनियों ने कॉर्पोरेट जासूसी और तकनीकी चोरी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। इन कंपनियों ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से चीन की शिकायत भी की है। इसके बावजूद चीन और रूस के संबंध मजबूत हुए हैं। रूस यह जानता है कि उसने चीन को नाराज कर दिया तो दूसरा कोई भी देश इस हद तक उसके साथ खड़ा नहीं हो सकता है। ऐसे में अपना नुकसान कर रूस अब चीन को साध रहा है। रक्षा टेक्नोलॉजी एक दुर्लभ क्षेत्र है, जहां रूसी उत्पाद विश्व स्तर पर चीन से बेहतर हैं। लेकिन, रूस अब तात्कालिक लाभ बनाम दीर्घकालिक नुकसान की दुविधा में फंसा हुआ है। वहीं, चीन अब रूस की चोरी की गई टेक्नोलॉजी से बने हथियारों को विदेशों में बेंच रहा है। a

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago