LAC Stand off: ड्रैगन ने India के खिलाफ फिर चली चाल, भारत की सीमा पर Highway बनाने की तैयारी में जुटा China

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चीन अपनी धोखा धड़ी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य बातचीत हुई थी। जबकि बातचीत का विषय ही था दोनों देशों की सेनाओं का पूर्वी लद्दाख इलाके से पीछे हटना था। लेकिन चीन उसके उलट भारत के इलाके में निर्माण कार्य को बढ़ावा देने की कोशिश में जुटा गया है। वहीं चीन की योजना भारत से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एक नया राजमार्ग बनाने की है। उसके इस कदम का उद्देश्य अपनी सामरिक स्थिति को मजबूत करना और अपनी शक्ति बढ़ाना है। आपको बता दे कि यह राजमार्ग तिब्बत के लुंजे काउंटी से शिनजियांग क्षेत्र के काशगर में माझा तक फैला हुआ है। नए राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रस्तावित 345 निर्माण योजनाओं में से एक है। जिसका लक्ष्य 2035 तक कुल 461,000 किलोमीटर राजमार्ग और मोटरमार्ग का निर्माण करना है। जबकि हांगकांग के साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने बताया कि चीन बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ अपनी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाहता है।</p>
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<strong>कहां-कहां से गुजरेगा हाईवे</strong></p>
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मीडिया की एक रिपोर्ट का माने तो लुंजे काउंटी अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा है, जिस पर चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है। वहीं पिछले हफ्ते जारी योजना के अंतर्गत G-695 के रूप में जाना जाने वाले राजमार्ग के कोना काउंटी से चलने की उम्मीद है, जो एलएसी के उत्तर में सिक्किम की सीमा से लगे कम्बा काउंटी और नेपाल की सीमा के पास ग्यारोंग काउंटी से होकर गुजरेगा। यह सड़क तिब्बत, नेपाल और भारत के बीच बुरांग काउंटी के साथ-साथ नगारी प्रान्त में जांडा काउंटी से होकर जाएगी। जिसके कुछ हिस्से भारत में हैं। मिली जानकारी के अनुसार नए निर्माण का विवरण सामने नहीं आ गया है। लेकिन राजमार्ग पूरा होने पर यह एलएसी पर देपसांग मैदान, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स जैसे विवादित क्षेत्रों के पास भी जा सकता है।</p>
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<strong>लद्दाख सीमा विवाद पर बातचीत</strong></p>
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भारत और चीन दोनों देशों ने अब तक टकराव वाले स्थानों पर सैनिकों को हटाने के लिए 16 दौर की बातचीत की है। 16वें दौर की बातचीत में पता चला कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने डेपसांग बुलगे और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान पर बात की है। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जोर देकर कहा था कि भारत चीन द्वारा यथास्थिति या एलएसी को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास की अनुमति नहीं देगा। </p>

आईएन ब्यूरो

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