Taiwan पर कब्जे की कोशिश की तो China पर होगा Military Action! अमेरिका-चीन में तनातनी

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ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन आमने सामने हैं। एक और चीन का कहना है कि, ताइवान उसका हिस्सा है और उसपर कब्जा करने से उसे कोई रोक नहीं सकता। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि, अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो इसका अंजाम बुरा होगा। ताइवान की रक्षा करने के लिए अमेरिका प्रतिबंध है और हर हाल में उसे बचाएगा। ऐसे में दोनों आमने सामने हैं। क्वाड सम्मेलन से एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि, ताइवान की रक्षा अमेरिका के हाथों में है। अगर चीन हमला करता है तो उसे इसका अंजाम बेहद बुरा भुगतना होगा। उनके इस बयान पर चीन आग बबूला हो गया है और कहा है कि, हमें कमजोर समझने की भूल किसी देश को नहीं करनी चाहिए।</p>
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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान के सवाल पर जो बाइडन की टिप्पणी से असंतोष जताते हुए कहा कि संप्रभुता औऱ क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े मुद्दों पर चीन के पास समझौता करने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी देश को चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प को कम नहीं आंकना चाहिए। दरअसल जो बाइडन ने ताइवान को लेकर कहा था कि यदि चीन ताइवान पर जबरन कब्जा करने की कोशिश करता है तो अमेरिकी सेना ताइवान को सैन्य सहायता देगी। बाइडन ने ताइवान पर चीन के कब्जे की संभावना को लेकर कहा था कि चीन खतरों से खेल रहा है। दरअसल जो बाइडन से पूछा गया था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो क्या वाशिंगटन ताइवान की रक्षा के लिए सैन्य सहायता देगा? इसके जवाब में जो बाइडन ने कहा-बिलकुल, हमने यही प्रतिक्रिया दी है।</p>
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बता दें कि, चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति ताइवान पर कब्जे की आशंका के बीच जो बाइडन ने पहली बार ऐसी टिप्पणी की थी। अमेरिका और जापान ने संयुक्त रूप से चीन की संभावित एकतरफा सैन्य कार्रवाई के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही दोनों देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मॉस्को का समर्थन करने को लेकर भी बीजिंग की निंदा की है। वहीं, बाइडने से यह पूछे जाने पर कि क्या वाशिंगटन ताइवान की रक्षा के लिए सैन्य रूप से शामिल होने को तैयार है, उन्होंने जवाब दिया… हां। हमने यही प्रतिबद्धता की है। उन्होंने आगे कहा कि हम एक चीन की पॉलिसी से सहमत थे। हमने इसपर हस्ताक्षर भी किया लेकिन बलपूर्वक इसे हासिल करना सही आइडिया नहीं है। इससे पूरे क्षेत्र में अशांति फैलेगी और फिर यूक्रेन जैसे हालात पैदा हो जाएंगे।</p>
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आईएन ब्यूरो

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