Putin बोले- ड्रैगन ने तो दिखा दी अपनी औकात! अब PM Modi आपसे ही बची है उम्मीद

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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग को रोकने के लिए पश्चिमी देश, यूएस और नाटो पूरी कोशिश कर रहे हैं। ये सारे मिलकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पूरी तरह से तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, इन्होंने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा रूस को कम असर हुआ है। तमाम कड़े प्रतिबंध लगाकर रूस को तोड़ने की कोशिश कर रहे यूएस और नाटो के लिए अभी राह मुश्किल है। क्योंकि, रूस इन सबके लिए पहले से ही तैयार बैठा है। यूक्रेन जंग को लेकर चीन को पहले से ही पता था और चीन ने पुतिन को मदद करने का वादा भी किया था। लेकिन, जैसा की चीन की फितरह रही है धोखा देने कि उसने रूस के साथ भी यही किया है। जिसके बाद पुतिन अब भारत की ओर देख रहे हैं।</p>
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मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, रूस ने रूसी विज्ञान अकादमी के साथ साझेदारी को आगे बढ़ाने से चीन के इनकार करने के बाद भारत से संपर्क किया है। बता दें कि करीब 300 साल पुराने इस रूसी संस्थान को दुनिया के सबसे प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों में माना जाता है। रूस ने वैज्ञानिक संस्थानों और निकायों के बीच नए सहयोग शुरू करने के लिए भारत से संपर्क किया है। रिपोर्ट की माने तो, रूसी विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष अलेक्जेंडर सर्गेव ने बताया है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर चीन ने वैज्ञानिक सहयोग को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी देशों में विज्ञान अकादमियों के साथ संपर्क भी बंद कर दिया गया है। यही कारण है कि रूस ने विशेष क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारत से संपर्क साधा है।</p>
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उन्होंने कहा कि, अगर हम दक्षिणी या पूर्वी दिशाओं के बारे में बात करते हैं तो दुर्भाग्य से मैं कह सकता हूं कि हमारे चीनी वैज्ञानिक सहयोहियों ने भी विराम दिया है। पिछले एक महीने में हम नियमित संचार के साथ उत्कृष्ट सहयोग के बावजूद गंभीर चर्चा में प्रवेश नहीं कर पाए हैं। इसके आगे उन्होंने भारत को लेकर कहा कि, भारत एक सकारात्मक उदाहरण था जबकि चीन और पश्चिमी की तुलना में और रूसी विज्ञान अकादमी भारत के साथ निर्धारित दवाओं, क्षेत्र और डिजिटल में सहयोग की संभावनाओं पर बहस करना चाहता है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो, कहा गया है कि, रूसी राजनयिकों को भारत और रूस के वैज्ञानिक निकायों के बीच साझेदारी की खोज करने का काम सौंपा गया है। बता दें कि रूस ने भी हाल ही में भारत से दवाएं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने के लिए संपर्क किया है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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