चीन (China) उनमें से है जो पूरी दुनिया में अपना राज करना चाहता है। ड्रैगन की हर एक चाल दूसरे देशों के खिलाफ होती है ताकि वह अपना दबदबा बना सके। चीन शांत बैठने वालों में से नहीं है तभी वो कोई ना कोई साज़िश की प्लानिंग में लगा रहता है। मगर चीन का सपना हमेशा सपना बनकर ही रह जाता है क्योंकि अमेरिका-भारत मिलकर पानी फेर देते हैं। वैसे चीन अपनी साजिशों में नाकाम होने के बावजूद बाज नहीं आता है। अब चीन पनी बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत दुनियाभर के देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है। जिनपिंग के इस ड्रीम प्रॉजेक्ट में फंसकर भारत के कई पड़ोसी देश काफी ज्यादा परेशान हैं। वहीं चीन के कर्ज में लदा श्रीलंका तो डिफॉल्ट हो गया है, वहीं पाकिस्तान कभी भी डिफॉल्ट हो सकता है।
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विरोध किया था। इसके बाद से ही चीन गुस्से से लाल है। यही कारण है कि चीन अब अपने मुखपत्र और पालतू देश पाकिस्तान के जरिए भारत पर निशाना साध रहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भारत को चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा में शामिल होने के ऑफर के बाद अब ग्लोबल टाइम्स ने जमकर जहर उगला है। अपने संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत ने 2030 के लिए के लिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आर्थिक विकास रणनीति पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि दस्तावेज में बहुत सारी बातें चीन से जुड़ी हुई थीं।
SCO दस्तावेज पर सफाई दे रहा ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि जब इस दस्तावेज को पेश किया गया तो भारत अनुपस्थित हो गया। एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद जारी नई दिल्ली घोषणा में एक हिस्सा ऐसा भी था जहां सभी सदस्य देशों ने बेल्ट एंड रोड बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, लेकिन भारत ने हमेशा की तरह इसका नाम शामिल करने से इनकार कर दिया। ग्लोबल टाइम्स ने आगे दावा किया कि यह रणनीतिक दस्तावेज़ बिल्कुल भी “चीन के प्रभुत्व” वाला नहीं है।
भारत के खिलाफ उगला जहर
जिनपिंग का पिट्ठू ग्लोबल टाइम्स यहीं पर नहीं रुका। उसने अपने संपादकीय में आगे लिखा कि संस्थापक सदस्य के रूप में चीन ने एससीओ के विकास के लिए कई मूल्यवान नए विचार प्रदान किए हैं। यह असामान्य होगा यदि इस तरह की आर्थिक विकास योजना में चीन की ओर से कोई प्रस्ताव न हो। ग्लोबल टाइम्स ने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए लिखा कि हालांकि, इससे भारत को खुद को सुर्खियों में न लाने का एहसास होता है, दो नई दिल्ली में चीन के प्रति अति-संवेदनशीलता के लक्षण को उजागर करता है।
इतना ही नहीं ग्लोबल टाइम्स ने ज्ञान देते हुए लिखा कि यह मायने नहीं रखता है कि दस्तावेज में कौन से शब्द उपयोग किए गए हैं या उन्हें किसने प्रस्तावित किया है? व्यावहारिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण से, यह वास्तव में कोई मायने नहीं रखता। मुख्य बात यह है कि क्या दिए जा रहे तर्क उचित हैं और क्या प्रस्तावित प्रस्तावित कार्रवाइयां उचित हैं। संपादकीय में भारत को समझाइश देने की कोशिश करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत के लिए केवल इसलिए इसमें शामिल होने से इनकार करना अतार्किक है क्योंकि दस्तावेज़ में तथाकथित चीनी शब्दावलियों का इस्तेमाल किया गया है।
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ग्लोबल टाइम्स ने अलापा अमेरिका राग
ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका राग अलापते हुए भारत के खिलाफ जमकर बयानबाजी की। उसने लिखा कि हाल के वर्षों में वाशिंगटन में कुछ राजनेताओं के बीच हर अवसर पर चीन का विरोध करने की एक आदत सी बन गई है। कुछ भारतीय राजनेता और बड़े लोगों की निगाहें हमेशा वाशिंगटन पर रहती हैं, और भारतीय मीडिया का ध्यान भी उसी के अनुसार बदल रहा है।
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