Taliban से भी ज्यादा क्रूर होता जा रहा ड्रैगन, China उइगर मुसलमानों को भेज रहा…

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चीन वो देश है जिसने दुनिया की नाक में दम कर रखा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया संग पूरा यूरोप देश और साथ ही जो लोग ड्रैगन से सीमा साझा करते हैं वो तक परेशान हैं। समुद्र से लेकर जमीन तक हर जगह चीन की हरकत से देश परेशान हैं। इतना ही नहीं चीन तो अपने यहां के लोगों के भी नाकों में दम कर रखा है। ये वही चीन है जो अपने यहां के उइगर मुसलमानों को सर्विलांस पर रखा हुआ है। इन लोगों को किसी चीज की इजाजत नहीं है। चीन इनके साथ जो जुल्म कर रहा है उससे देख कर ये कहा जा सकता है कि, ड्रैगन तालिबान से ज्यादा क्रूर होता जा रहा है। अब एक बार फिर से चीन अपनी कुछ हरकतों की वजह से चर्चा में आ गया है।</p>
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जितने भी उइगर मुसलमान हैं उन्हें चीन ने शिनजियांग क्षेत्र में रखा है और यहां पर ड्रैगान की दमनकारी नीति जारी है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, चीन ने शिनजियांग में सात शिक्षकों को कैद कर लिया है। इससे पहले गुलजा क्षेत्र से भी 10 शिक्षकों को कैद किया गया था। रेडियो फ्री एशिया ने बताया है कि स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल दिलमुरत अब्दुरेहिम करीब एक साल पहले ही लापता हो गए थे। स्थानीय पुलिस और स्कूल के कर्मचारियों ने पुष्टि की है कि कैद किए गए 10 में से कम से कम सात शिक्षक अभी भी जेल में हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के हिरासत शिविरों में ताजिक, कजाख और उइगर जैसे अल्पसंख्यक लगातार हिंसा का शिकार होते हैं और उन पर लगातार नजर रखी जाती है।</p>
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रिपोर्ट में बताया गया कि, एक स्कूल सुरक्षा अधिकारी ने कहा है कि, तीन कजाख शिक्षकों को रिएजुकेशन कैंप में ले जाया गया था लेकिन, बाद में रिहा कर दिया गया और अब वे हाई स्कूल में काम कर रहे हैं। कुछ कजाख शिक्षक जैसे कि कमर, नूरजान और इजेल को रिएजुकेशन कैंप में भेजा गया था। चीन को इन शिक्षकों से ज्यादा खतरा महसूस होता है। क्योंकि, ये हथियार से नहीं बल्कि कलम की लड़ाई लड़ते हैं और कलम की ताकत दुनिया के हर ताकत से बड़ी है। विशेषज्ञों का इसे लेकर कहना है कि, चीनी अधिकारियों ने शिनजियांग में शिक्षकों और बुद्धिजीवियों को लगातार लक्षित किया है क्योंकि वे उइगर समाज के दिमाग हैं और उइगर संस्कृति और पहचान को संभाल कर रखने और उसे आगे बढ़ाने में उनका सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यही कारण है कि शिनजियांग में शिक्षकों को टारगेट किया जा रहा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2017 से शिनजियांग में 18 लाख से अधिक उइगर और अन्य तुर्क अल्पसंख्यकों को हिरासत शिविरों के एक नेटवर्क में रखा गया है। हालांकि, चीनी सरकार अपने करतूतों को लाख छुपाने की कोशिश करती है और इसे नकारती है। लेकिन, उसकी असलियत समय समय पर सामने आ ही जाती है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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