चीन (China) अगले साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मानवरहित अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी में है। यह अंतरिक्ष यान का लक्ष्य चंद्रमा की सतह से दो किलोग्राम चट्टान के नमूने पृथ्वी पर वापस लाना है। चाइना नेशनल स्पेस एडिमिनिस्ट्रेशन (सीएनएएस) ने 29 सितंबर को कहा कि वह चांग’ई-6 को चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर भेजेगा, जिसका अभी तक वैज्ञानिकों ने पता नहीं लगाया है। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि वह 2024 की शुरुआत में चंद्रमा से संचार रिले करने के लिए क्यूकियाओ 2, या मैगपाई ब्रिज 2 नामक एक उपग्रह लॉन्च करेगा। चीन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कब्जा करने की है, जो कई तरह से खनिजों और दूसरे संसाधनों से भरा हुआ है।
पिछले साल, सीएनएसए ने कहा था कि चांग’ई-6 का प्रक्षेपण 2025 में होगा। इस साल की शुरुआत में, उसने समय सीमा को लगभग एक साल पहले 2024 में शिफ्ट कर दिया है। ऐसे में चीनी अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य अब इस अंतरिक्ष यान को अगले वर्ष में प्रक्षेपित करने का है। सीएनएसए की नवीनतम घोषणा मिड एटम फेस्टिवल के साथ मेल खाती है, जिसकी उत्पत्ति चीनी पौराणिक कथाओं में चंद्रमा की देवी चांग’ई से हुई थी।
यह तब हुआ जब एक शीर्ष चीनी (China) वैज्ञानिक ओयांग लियुआन ने बुधवार को दावा किया कि भारत का चंद्रयान -3, जो 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरा था, वास्तव में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास भी नहीं है। चाइना साइंस डेली को दिए इंटरव्यू में ओयांग ने दावा किया कि भारत के चंद्रमा लैंडर के बारे में दो चीजें स्पष्ट करने की आवश्यकता है। सबसे पहले, इसके लैंडिंग स्थान के बारे में विवरण गलत है। दूसरा, लोग दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के अस्तित्व को लेकर अति आशावादी हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र से कम से कम 619 किलोमीटर दूर है, इसलिए यह कहना गलत है कि भारत दक्षिणी ध्रुव तक पहुंच गया है या उसके करीब भी है।
1996 में, साइंस पत्रिका के एक लेख में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थायी रूप से छाया वाले गड्ढे के तल में बर्फ की संभावना का सुझाव दिया गया था। भंडार की मात्रा लगभग 60,000 से 120,000 घन मीटर होने का अनुमान लगाया गया था। कई देश अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की तलाश कर रहे हैं, जो अगर मिल जाए तो उसे खनन करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में तोड़ा जा सकता है, जो चंद्रमा पर संभावित मानव उपनिवेश के लिए दो प्रमुख संसाधन हैं।
पिछले नवंबर में, यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने एक छोटा उपग्रह, लूनर फ्लैशलाइट लॉन्च किया था, जिसने चंद्र दक्षिणी ध्रुव के पास स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में बर्फ का नक्शा बनाने के लिए नियर इंफ्रारेड लेजर और एक ऑनबोर्ड स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करने की योजना बनाई थी। लेकिन नासा ने इस साल मई में कहा कि उपग्रह के प्रपल्शन सिस्टम में समस्याओं के कारण मिशन विफल हो गया था।
भारत और चीन (China)की प्रतिद्वंदिता अब अंतरिक्ष में भी देखने को मिल रही है। 23 अगस्त को, चंद्रयान -3 के लैंडिंग ने भारत को सोवियत संघ (1966), संयुक्त राज्य अमेरिका (1966) और चीन (2018) के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना दिया। भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। 2 सितंबर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के सभी उपकरण बंद कर दिए और यान को स्लीप मोड में डाल दिया। बाद में पर्याप्त धूप होने पर लैंडर को 22 से 30 सितंबर के बीच फिर से एक्टिव किया जाना था। लेकिन, शुक्रवार तक, यह अभी भी ऑनलाइन नहीं हो सका था।
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