नेपाल और भारत दो दोस्त देशो के तोर पर उभर कर सामने आ रहे हैं। भारत ने नेपाल का हर मुश्किल में साथ दिया है। यह देख कर चीन (China) जल भुन गया है। अब भारत के एक और दोस्त देश अमेरिका के साथ मिलकर नेपाल में यह डील फाइनल हो गई है। जिससे ड्रैगन (China) को सदमा लगा है। नेपाल भारत से जुड़ी एक ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में तेजी लाने वाला है। नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी सहायता एजेंसी मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन (MCC) की फंडिग के तहत नेपाल और भारत के बीच प्रस्तावित सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी। अमेरिकी सरकार का 500 मिलियन डॉलर का सहायता कार्यक्रम MCC कॉम्पैक्ट कार्यनवयन के चरण में पहुंच चुका है। नेपाल के बुटवल से गोरखपुर तक 140 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन बनानी है। इसमें से 20 किमी लंबी लाइन का निर्माण नेपाल में होना है।
नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से गठित एक जॉइंट वेंचर कंपनी ने भारत में 120 किमी के हिस्सा का निर्माण पहले ही शुरू कर दिया है। नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल 31 मई से 3 जून तक नई दिल्ली यात्रा पर गए थे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के साथ 400KV क्रॉस बॉर्डर पावर लाइन को वर्चुअल तरीके से शुरु किया था। दोनों देशों की ओर से 2025 तक बिजली लाइन के भारतीय खंड के निर्माण को पूरा करने पर सहमति बन चुकी है।
मिलेनियम चैलेंज अकाउंट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि प्रस्तावित ट्रांसमिशन लाइन का भारतीय हिस्सा 2025 की शुरुआत में पूरा होने की उम्मीद है। इसलिए नेपाल खंड को पूरा करने के लिए ज्यादा तत्परता दिखाई जाएगी, भले ही हमारा काम पांच साल में इसे पूरा करना है।’ MCC कॉम्पैक्ट प्रोग्राम के तहत 400केवी की क्षमता वाली 315 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन बनाई जाएगी। जबकि नेपाल-पूर्व पश्चिम राजमार्ग के एक खंड में सुधार किया जाएगा।
एमसीसी की ओर से वित्त पोषित परियोजनाओं को लागू करने के लिए नेपाल सरकार 197 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण भी करेगी। NEA में ट्रांसमिशन निदेशालय के प्रमुख दीर्घायु कुमार श्रेष्ठ ने कहा कि हमने एमसीए-नेपाल से इस खंड को 2024 के अंत तक पूरा करने का अनुरोध किया है, क्योंकि भारत का खंड 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। एमसीसी के तहत परियोजना को लागू करने में संभावित देरी को ध्यान में रखते हुए देश की बिजली कंपनी ने पहले इस खंड के निर्माण पर विचार किया था। बाद में इस बात पर सहमति बनी की एमसीए-नेपाल खुद इस परियोजना का फास्ट ट्रैक तरीके से निर्माण करेगा।
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