चीन (China) के गले की हड्डी बन गया है BRI प्रोजेक्ट। ऐसा नज़र आ रहा है के चीन बेहद बोखला गया है। ड्रैगन ने अपना BRI प्रोजेक्ट 2013 में शुरू किया था। लेकिन जिनपिंग का यह प्रोजेक्ट असफल होता नज़र आ रहा है। चीन की यह बेल्ट एंड रोड परियोजना कर्ज का जाल बन गई है और श्रीलंका जैसे दुनिया के कई देश आर्थिक रूप से तबाह हो चुके हैं। चीन ने बीआरआई के तहत नेपाल को फांसने की कोशिश की थी लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी उसे सफलता नहीं मिल पाई है। इससे चीन की बौखलाहट बढ़ती जा रही है और वहां के नेता खुलकर अपनी हताशा जाहिर कर रहे हैं।
चीन (China) के नेताओं ने अब एकतरफा तरीके से चीन की नेपाल में बनाई हुई परियोजनाओं को बीआरआई के तहत बताना शुरू कर दिया है। चीन ने दावा किया है कि पोखरा एयरपोर्ट को बीआरआई के बनाया गया है लेकिन नेपाल सरकार का कहना है कि देश में अभी यह परियोजना शुरू हुई नहीं हुई है। इस पूरे मामले में रोचक बात यह है कि नेपाल ने साल 2017 में बीआरआई पर हस्ताक्षर किया था और पोखरा एयरपोर्ट का चीन की ओर से निर्माण इससे पहले ही साल 2016 में शुरू हो गया था। इससे चीन के दावे की पोल खुल गई है।
चीन (China) बीआरआई के तहत अब अपने सिल्क रोडस्टर प्रोग्राम को बढ़ा रहा है। पिछले 6 साल में चीन कई बार कोशिश करने के बाद भी नेपाल में बीआरआई के तहत एक भी प्रॉजेक्ट को शुरू नहीं करा पाया है। चीन एग्जिम बैंक से लोन मिलने के बाद पोखरा एयरपोर्ट का निर्माण शुरू हुआ था और इस साल 1 जनवरी को इसका उद्घाटन किया गया था। उस दौरान चीन के दूतावास ने इसे बीआरआई प्रॉजेक्ट बता दिया जिससे नेपाल के अंदर विवाद पैदा हो गया। इसके बाद चीन की सिचुआन एयरलाइन की फ्लाइट पोखरा एयरपोर्ट पर उतरी तो नेपाल में चीनी राजदूत ने एक बार फिर से इसे बीआरआई का हिस्सा बता दिया।
नेपाल की संसद में भी यह पूरा मुद्दा उठा। इसके बाद नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रसाद सौद को संसद के अंदर बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि नेपाल और चीन अभी भी बीआरआई फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि अभी तक नेपाल के अंदर बीआरआई का एक भी प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि भूराजनीतिक तनाव के बीच नेपाल और चीन दोनों के ही अंदर बीआरआई को लेकर भ्रम बना हुआ है।
यह भी पढ़ें: भारत ने Nepal को दी ऐसी खुशखबरी, इस बड़ी मुसीबत से मिलेगी राहत
नेपाली विशेषज्ञों के मुताबिक पोखरा एयरपोर्ट को बार-बार बीआरआई का हिस्सा बताकर चीन यह सभी को स्पष्ट करना चाहता है कि वह नेपाल में पूरी मजबूती के साथ मौजूद है। वह भी तब जब अमेरिका और भारत नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने को लेकर पीछे नहीं रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल का मानना है कि चूंकि पोखरा एयरपोर्ट का निर्माण साल 2016 में हुआ था, इसलिए यह बीआरआई के अंदर नहीं आता है। पोखरा एयरपोर्ट अब नेपाल के बड़ी मुसीबत बन गया है।
ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…
मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…
हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…
इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…
Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…
The Kashmir Files के डायरेक्टर पर बॉलीवुड अदाकारा आशा पारेख बुरी तरह बिफर गई। विवेक…