चीन (China) का S-400 एयर डिफेंस प्रणाली भी भारत में बनी दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल BrahMos का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उसे रोक नहीं सकती। ये दावा किया है ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी अतुल दिनकर राणे ने. उन्होंने कहा कि एस-400 भले ही दुनिया की बेहतरीन हवाई सुरक्षा प्रणाली हो लेकिन वह ब्रह्मोस को रोक नहीं पाएगी।
डिफेंस वेबसाइट IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी अतुल दिनकर राणे ने कहा कि एस-400 डिफेंस सिस्टम एक अलग प्रक्षेपवक्र को फॉलो करता है। वहीं, ब्रह्मोस मिसाइल की असाधारण गति और चपलता के कारण, सतह से हवा में मार करने वाली किसी भी मिसाइल के लिए इसे इंटरसेप्ट कर पाना मुश्किल है। बैलिस्टिक मिसाइल फायर करने के बाद पृथ्वी के वायु मंडल से बाहर जाकर अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से गिरती है।
राणे ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना के शस्त्रागार में एक मात्र क्रूज मिसाइल के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। जब शुरुआत में इसे लॉन्च किया गया था, तो इसकी क्षमताओं का मुकाबला करने में सक्षम कोई डिफेंस सिस्टम नहीं था। हालांकि, हाल के दिनों में मिसाइल डिफेंस सिस्टम में काफी प्रगति हुई है। राणे ने भरोसा जताया कि ऐसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी ब्रह्मोस की मारक क्षमता को प्रभावित नहीं कर पाएंगे।
चीन ने भी भारत और अन्य देशों को ध्यान ने रखकर s-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम को रूस से ख़रीदा हैं । ताकि अपने देश की सुरक्षा किया जा सके। हालांकि अब भारत के पास भी s400 की बड़ी खेप पहुँच चुकी हैं । जब चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश भारत के सामने खड़े रहेंगे तब भारत को ऐसी चीजों की सख्त जरुरत हैं। चीन ने खासकर के भारत के ब्रह्मोस मिसाइल को ध्यान में रखते हुए s400 की खरीदारी की हैं । क्योंकि ब्रह्मोस मिसाइल को इस समय का दुनिया का सबसे तेज सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता हैं जिसकी अधिकतम स्पीड 3,400km/h हैं। इतनी तेज मिसाइल को रोकना एक तरह से तबाही को रोकने जैसा हैं।
भारत और चीन China) दोनों ने ही रूस से एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा है। भारत वाले एस-400 की रेंज 600 किलोमीटर की है। वहीं, इसमें लगी मिसाइलें 400 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती हैं। लेकिन, चीन के पास मौजूद एस-400 सिस्टम सिर्फ 300 किमी की दूरी तक ही हमला करने में सक्षम है। दरअसल, भारत और रूस मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था ( एमटीसीआर) का सदस्य हैं, जबकि चीन नहीं है। इस व्यवस्था के बाहर वाले देशों को कोई भी देश 300 किमी से ज्यादा दूरी तक मार करने वाली मिसाइल को न बेच सकता है और ना ही टेक्नोलॉजी दे सकता है।
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