Taliban की आड़ में China और जैश-ए-मोहम्मद का भारत पर निशाना, Kandahar में रची गई साजिश

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अफगानिस्ता पर तालिबान के कब्जा करने के बाद जहां एक तरफ चीन और पाकिस्तान खुश हैं तो वहीं, कई आतंकी संगठन भी फूले नहीं समा रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद खुश है क्योंकि तालिबान के साथ उसकी तालमेल काफी अच्छी है। तालिबान अब दोहरी रणनीति अपनाते हुए नजर आ रहा है, जहां एक तरफ वो अफगानिस्तान पर किसी दूसरे देश के दखलअंदाजी न करने की बात कह रहा है तो वहीं, वह ऐसे आतंकी संगठनों के साथ तालमेल बैठा कर कई देशों के लिए हाईटेंशन बनने वाला है। ऐसे में सबसे ज्यादा चिंता भारत के लिए है।</p>
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चीन भी अब आतंकियों को खुलकर समर्थन देने लगा है। क्योंकि अफगानिस्ता में चीनी राजदूत वांग यू और पाकिस्तान स्थित आतंकी सगंठन जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य ऑपरेशन कमांडर मुफ्ती अब्दुल रऊफ अजहर ने कंधार में तालिबन नेतृत्व से मुलाकात की और तालिबानियों को अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए बधाई दी। यह भी कहा जा रहा है कि दोनों ने तालिबानी नेतृत्व से अलग-अलग गुपचुप मीटिंग की है। और इस वक्त मुल्ला बरादर और मुल्ला उमर के बेटे और तालिबान के उप नेता मुल्ला याकूब दोनों ही कंधार में हैं, मुल्ला बरादर को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में तालिबान की ओर से प्रबल दावेदा माना जा रहा है।</p>
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चीनी राजदूत वांग को लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने तालिबान शासित अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में बीजिंग की ओर से हर संभव मदद करने के लिए कंधार में मुल्ला बरादर से भी मुलाकात की थी। दरअसल, चीन की नजर अफगानिस्तान पर काफी समय से टीकी हुई है, तालिबान राज का चीन के लिए जरूरी इस लिए है क्योंकि, वह बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI) को पूरा करना चाहता है। इसके साथ ही चीन की असली निगाह अफगानिस्तान के खजाने पर है जो वहां पर खनीज के रूप में हैं। लीथियम, कॉपर और ऐसे दुर्लभ खनिजों के अकूत भंडार पर चीन की पैनी नजर है। इसके साथ ही गैस और खनिज संसाधनों की निकासी के लिए अफगानिस्तान के माध्यम से मध्य एशियाई गणराज्यों तक पहुंचने के लिए चीन की बड़ी योजना है। चीन को वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए तालिबान की जरूरत भी पड़ेगी, क्योंकि यह रास्ता अफगानिस्तान से होकर ही आगे बढ़ता है।</p>
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वहीं, जिहाद में तालिबान के वैचारिक साथी जैश-ए-मोहम्मद के मुफ्ती रऊफ ने बहावलपुर स्थित आतंकी समूह जैश की ओर से निष्ठा की पेशकश करने के लिए कंधार में मुल्ला याकूब से मुलाकात की। बता दें कि मुप्ती रऊफ आतंकी मसूद अजहर का भाई है, जो भारत में कई आतंकी हमलों के लिए मोस्ट वांटेड है। इसे देखते हुए तालिबान का यह दोहरा चरित्र सामने आ रहा है।</p>
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दुनिया भर के सामने तालिबान आलाप लगा रहा है कि वह अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी तीसरे देश को करने की अनुमति नहीं देगी, लेकिन सच तो यह है कि अल कायदा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ उसके बहुत करीबी संबंध हैं। विशेषज्ञों की माने तो अब ये दोनों आतंकी समूह तालिबान शासित अफगानिस्तान में अपने कैडर को ट्रेनिंग देंगे। ऐसे में भारत की चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि जैश का मुख्य टारगेट भारत ही रहा है। मसूद अजहर का बड़ा भाई इब्राहिम अजहर, जिसने कंधार विमान हाईजैक की साजिश रची थी, आतंकी समूह के अफगान अभियानों की देखरेख करता है।</p>
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भारतीय आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में चीन तालिबान का जमकर फायदा उठाएगा और उसकी मदद से LAC पर भारत पर दबाव बनाए रखेगा और पड़ोसी देशों के साथ भारत के विरोधियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेगा। इसके साथ ही तालिबान के साथ ही जैश और ज्यादा एक्टिव होगा और पूरे दक्षिण एशिया में इस्लामी कट्टरपंथ में बढ़ावा होगा।</p>
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आईएन ब्यूरो

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