यूरोपीय संसद का फ्रांस, ईयू से पाकिस्तानी आतंकवादी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह

पाकिस्तान में बिना किसी रोकटोक के जारी आतंकवादी गतिविधियों पर चिंता जताते हुए यूरोपीय संसद के सदस्यों, रेज़्ज़र्ड कजारनेकी, फुल्वियो मार्टूसिसेलो और जियाना गार्सिया ने फ्रांसीसी सरकार और यूरोपीय संघ को पत्र लिखकर इस्लामी देश की आतंकवादी कार्रवाइयों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।

जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तान के भयानक कबाइली हमले की 73वीं बरसी के मौके पर लिखे पत्र में कहा गया है कि "हम फ्रांसीसी सरकार और यूरोपीय संघ से पाकिस्तान के इस्लामिक गणराज्य से होने वाली खतरनाक आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने का आह्वान करते हैं। फ्रांस, यूरोप और दुनिया आतंकवादी खतरों के डर के साये मे जी रहे किसी भी अन्य निर्दोष पीड़ित की हत्या का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।"

इस पत्र को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डी लेयेन को भेजा गया। पत्र में संसद सदस्यों ने कहा कि पश्चिम पाकिस्तान, जिसे आज पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य कहा जाता है, उसने 14 अगस्त, 1947 को अपनी स्थापना के बाद से दुनिया में 'अथाह आतंकवाद' को जन्म दिया है।

यूरोपीय संसद के सदस्यों ने कहा, "27 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के प्रवेश करने पर पाकिस्तान हर वर्ष इस दिन को 'ब्लैक डे' के रूप में मनाता है। जबकि यह तथ्य  है कि रियासत के शासक द्वारा भारत में कानूनी रूप से विलय के लिये इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसेशन पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय सेना राज्य में आई थी। वास्तव में ऐसा करके पाकिस्तान कबाइलियों को आगे करके 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर किए गए अपने स्वयं के आक्रमण पर पर्दा डालना चाहता है। आक्रमण के दौरान, 35000 कश्मीरी मुस्लिम, हिंदू और सिख नागरिकों का नरसंहार किया गया और हजारों महिलाएं और बच्चों का बलात्कार किया गया और मार डाला गया।”

इसी पत्र में पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में किए गए नरसंहार की घटना का भी उल्लेख किया गया। जहां पाकिस्तानी सेना और उसकी सहायक इस्लामिक मिलिशिया ने 300,000 से 3,000,000 के बीच लोगों की हत्या कर दी थी और 200,000 से 400,000 बंगाली महिलाओं का बलात्कार किया था। पत्र में कहा गया कि बांग्लादेश अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नरसंहार के लिए इंसाफ का इंतजार कर रहा है।

संसद सदस्यों ने 11 सितंबर, 2001 को कुख्यात न्यूयॉर्क हमलों का भी जिक्र किया। जिसमें दावा किया गया था कि इसका जश्न पाकिस्तान में मनाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि हमलों के पीछे मास्टरमाइंड आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में शरण दी गई थी। पत्र में यूरोपीय संसद के सदस्यों ने कहा,  "इस साल 25 मई को बिन लादेन को श्रद्धांजलि देते हुए इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लादेन को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 'शहीद' करार दिया।"

चार्ली हेब्दो कार्यालयों पर हाल के आतंकवादी हमलों पर संसद सदस्यों ने कहा, "पेरिस में चार्ली हेब्दो कार्यालयों पर 7 जनवरी 2015 के हमलों में 12 निर्दोष लोग मारे गए। इन मौतों पर पाकिस्तान में जश्न मनाया गया और इसने 25 सितंबर 2020 को एक पाकिस्तानी आप्रवासी द्वारा एक और आतंकवादी हमले को प्रेरित किया। जबकि पाकिस्तान में पिता ने अपने बेटे के कार्यों की प्रशंसा की।"

सदस्यों ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था, क्योंकि वह आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए अपने दायित्वों का अनुपालन करने में निरंतर विफल रहा है।

पत्र में कहा गया है कि 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया और लूट और सामूहिक हत्याओं की घटनाओं की भयानक घटनाओं को अंजाम दिया। हमलावरों ने बारामूला शहर की घेराबंदी करके हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला।

यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने हाल ही में एक टिप्पणी में 22 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर के इतिहास में "सबसे काला दिन" कहा। जब कश्मीर पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन गुलमर्ग को शुरू किया गया था। यूरोपीय थिंक टैंक के अनुसार कबाइली हमले में कश्मीर के 35,000 से 40,000 निवासियों को मारा गया था।यूरोपीय थिंक टैंक ने कहा कि "कबाइली हमले के योजनाकार और अपराधी, बिना किसी संदेह के कश्मीरी लोगों के सबसे बड़े दुश्मन थे। 22 अक्टूबर 1947 को जिस दिन हमला शुरू हुआ, वह कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दिन है।".

डॉ. शफी अयूब खान

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