पाकिस्तान को थर्रा देने वाली परिघटना के डेढ़ महीने बाद 9 मई के विद्रोह को लेकर अब ज़्यादा से ज़्यादा ब्योरे सामने आ रहे हैं।उस परिघटना का उद्देश्य सेना प्रमुख असीम मुनीर को पद से हटाना था, और उसकी जगह एक सैन्य प्रतिष्ठान को नियुक्त करना था, जो पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के प्रति वफ़ादार हो।
हालांकि,वह योजना तो विफल हो गयी, लेकिन इसके झटके अब भी महसूस किए जा रहे हैं, क्योंकि प्रमुख साजिशकर्ताओं का नेटवर्क अब भी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है।
फिर सवाल है कि जनरल मुनीर और उनकी टीम ने अब तक क्या हासिल किया है, और पाकिस्तानी सेना को अपना संतुलन बहाल करने से पहले और क्या करना चाहिए, जिसे ख़ान ने काफी हद तक बिगाड़ दिया है ?
इंडिया नैरेटिव को आधिकारिक रूप से पता चला है कि अब तक एक कोर कमांडर, दो मेजर जनरल और अन्य सहित 124 से अधिक सेवारत सैन्य अधिकारी पूछताछ और मुकदमों का सामना कर रहे हैं। इन अधिकारियों में लाहौर के पूर्व कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सलमान ग़नी शामिल हैं, जिनके बारे में समझा जाता है कि वह कोर्ट मार्शल की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>1/1 Disarming Imran Khan- A close ally of ex-Pakistani PM, Jahangir Khan Tareen is being promoted as the rising star in the new arrangement that is beginning to take shape in Pakistan. He is set to announce the formation of a new political party <a href=”https://t.co/SdRgcCkPmO”>https://t.co/SdRgcCkPmO</a> <a href=”https://t.co/UPEO2OeUFu”>pic.twitter.com/UPEO2OeUFu</a></p>— INDIA NARRATIVE (@india_narrative) <a href=”https://twitter.com/india_narrative/status/1663923001732239360?ref_src=twsrc%5Etfw”>May 31, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
उस साज़िश का पर्दाफ़ाश करने के लिए जनरल ग़नी को पकड़ना महत्वपूर्ण है, जिसके कारण गुस्साई भीड़ ने 9 मई को लाहौर में कोर कमांडर के आवास जिन्ना हाउस में तोड़फोड़ की थी। दंगाइयों ने रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू) के साथ-साथ पाकिस्तान में सेना की शक्ति और अधिकार के अन्य प्रतीकों के बीच शहीद के कब्रिस्तान को भी निशाना बनाया था।
अब यह बात सामने आ गयी है कि उस विद्रोह में सक्रिय रूप से शामिल कुछ अन्य बड़े लोगों में पूर्व चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अज़हर अब्बास भी शामिल हैं। इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के दो पूर्व प्रमुखों के अलावा लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शुजा पाशा, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहीरुल इस्लाम को विद्रोह को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख लोगों में सूचीबद्ध किया जा रहा है। इसके अलावा, उस साजिश के पीछे अन्य प्रमुख हस्तियों में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ख़ालिद मक़बूल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अमजद शोएब, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अली कुली ख़ान और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) इजाज़ अवान शामिल हैं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Shuja Pasha admitted <a href=”https://twitter.com/hashtag/ISI?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#ISI</a>’s role in Mumbai attack: ex-CIA chief reveals in book<a href=”https://t.co/Tn6ssozyrH”>https://t.co/Tn6ssozyrH</a> <a href=”https://t.co/RBK2UCKgyd”>pic.twitter.com/RBK2UCKgyd</a></p>— The Hindu (@the_hindu) <a href=”https://twitter.com/the_hindu/status/702079477807861760?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 23, 2016</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
संयोग से जैसा कि इंडिया नैरेटिव ने पहले बताया था, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ख़ालिद मक़बूल सहित 13 सेवानिवृत्त जनरलों ने पिछले हफ़्ते पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष (सीओएएस) से मुलाक़ात की थी और अनुरोध किया था कि जनरल मुनीर ख़ान को पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति अधिक उदारता दिखानी चाहिए।
रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय में बैठक के दौरान जनरल मुनीर ने दिग्गजों को राजनीति खेलना बंद करने की चेतावनी दी। यदि सेवानिवृत्त जनरल राजनीतिक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें अनुभवी के रूप में व्यवहार करना बंद कर देना चाहिए और सेवानिवृत्त अधिकारियों के रूप में उनकी हैसियत के कारण सेना द्वारा उन्हें दिए गए विशेषाधिकारों को छोड़ देना चाहिए।
अब यह पता चला है कि उस पूरी साजिश के पीछे का सरगना कोई और नहीं, बल्कि पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फ़ैज़ हमीद थे। सूत्रों का कहना है कि सेना में असंतोष तब तक जारी रहने की उम्मीद है, जब तक कि जनरल हमीद को कोर्ट मार्शल नहीं किया जाता और दंडित नहीं किया जाता।
सूत्रों ने कहा कि ज़ाहिर तौर पर यदि विद्रोह सफल हो जाता, हालांकि जनरल मुनीर उस समय क़तर में थे, तो जनरल हमीद को दूसरी बार डीजी आईएसआई का पद या राष्ट्रपति पद की पेशकश की गयी होती।
विश्लेषकों का कहना है कि ख़ान के अति आत्मविश्वास और मतभेदों के बावजूद सेना की कमान के प्रति वफ़ादारी ने पाकिस्तानी को आख़िरकार तबाही से बचा लिया।
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