Farmers Protest: टिकैत के रवैये से किसान आंदोलन में फूट, चढूनी ने अलग संगठन बनाया, सरकार को हिलाने चले ‘किसान नेता’ खुद हिल गए

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पिछले छह महीने से दिल्ली के बॉर्डर्स को घेरे संगठनों में फूट पड़ गई है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर को छोडकर संगठनों के नेता अपना अलग-अलग संगठन बनाने लगे हैं। दरअसल, आंदोलन पर राकेश टिकैत का परोक्ष कब्जा हो जाने से बाकी किसान नेता नाखुश हैं। इन सबका मानना है कि राकेश टिकैत सारा श्रेय खुद ले रहे हैं जबकि आंदोलन लगातार धार खोता जा रहा है। लंबे खिंचते किसान आंदोलने में अब किसान संगठनों के बीच मतभेद नजह आ रहे हैं।</p>
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भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन बनाई। चढूनी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब तमाम संगठन कृषि बिलों के खिलाफ एक हुए हैं। इस संगठन को बनाकर उन्होंने साफ कर दिया कि वह संयुक्त किसान मोर्च के तहत तो रहेंगे लेकिन अपनी राह अलग होगी। चढूनी के इस कदम पर किसी भी बड़े किसान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।</p>
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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और दूसरे बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी में मतभेद की खबरें कई बात आती रही हैं। अब चढूनी द्वारा अपना अलग संगठन बनाए जाने को लेकर इसकी पुष्टि भी होती दिखती है जिससे ऐसा लग रहा है कि यह दो नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई भी है। हाल में ही चढ़ूनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी के कई हिस्सों में किसान आंदोलन नहीं चलने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने नेताओं के साथ साथ संगठन पर भी उंगुली उठाई थी। हालांकि दोनों नेता मंच पर साथ नजर आते हैं।</p>
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कुछ समय पहले ही चढूनी ने कहा था कि जिस तरह पंजाब और हरियाणा में नेताओं का विरोध हो रहा है वैसी यूपी में नहीं हो रहा है। उन्होंने साफ कहा था कि आंदोलन को यूपी में भी धार देनी होगी, जिसका साफ इशारा टिकैत बंधुओं की तरफ था जो यूपी से आते हैं।</p>
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दरअसल, राकेश टिकैत पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है। इस वजह से भी बाकी किसान नेता काफी असमंजस में हैं। राकेश टिकैत ने पहले पंचायत चुनावो में बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार करने का ऐलान किया था, लेकिन फिर कन्नी काट ली। इसके बावजूद आंदोलन का सेहरा राकेश टिकैत के सिर ही बंधा हुआ है। इसलिए भी बाकी किसान नेता राकेश टिकैत से अलग पहचान बनाना चाहते हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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