कोरोना से हाशिए पर पहुंचे बच्चों की मदद के लिए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद का आह्वान

कोरोना से बच्चों पर मड़राते संकट के निदान और उपायों पर चर्चा के लिए आयोजित लॉरिएट्स एंड लीडर्स फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन समिट का आयोजन किया गया। इस आयोजन के समापन हाशिए पर पहुंचे बच्चों की मदद के 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद का आह्वान किया गया। यह समारोह कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के अमेरिका चैप्टर ने आयोजित किया था। सम्मेलन में कैलाश सत्यार्थी ने विश्व समुदाय और सरकारों से बच्चों को उनका उचित हिस्सा (फेयर शेयर) देने की वकालत की।

सम्मेलन में जारी “फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन रिपोर्ट” में इस बात का खुलासा भी हुआ कि महामारी के दौरान बाल श्रम, ट्रैफिकिंग, स्कूल से बाहर होने वाले बच्चों की संख्या, गुलामी और बाल विवाह में बढ़ोतरी होने की आशंका है। इससे निपटने के लिए एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी। इसके लिए वैश्विक नेताओं और नीति निर्माताओं से भी एक खुला आह्वान भी किया गया है, जिसे इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा।

लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं सहित दुनिया के 40 से अधिक देशों के सरकारी प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। सम्मेलन में दलाई लामा, स्वीडन के प्रधानमंत्री श्री स्टीफन लोफवेन, भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस जैसे तमाम दिग्गज शामिल हुए।

समिट के समापन अवसर पर कैलाश सत्यार्थी ने कोविड-19 से प्रभावित असहाय और वंचित बच्चों के लिए दुनिया को एकजुट होने का आह्वान किया। श्री सत्यार्थी ने कहा, ‘फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन’ का आह्वान सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि दुनियाभर के नैतिक नेतृत्व का न्याय के लिए एक शंखनाद है।

इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता लेमाह गॉबी ने बाल श्रम के खिलाफ सबको एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा, “हमारी दुनिया एक भयावह दौर से गुजर रही है। आशा कि हम बाल श्रम और बाल दासता को समाप्त करने की कार्रवाई करने के प्रति पूरी दुनिया को एकजुट कर पाएंगे।”

इस अवसर पर आर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनोमिक को-आपरेशन एंड डिवेलेपमेंट (ओईसीडी) के महासचिव एचई जोस एंजेल गुरिया ने बच्चों को विकास योजनाओं और नीतियों के केंद्र में रखने की वकालत की। उन्होंने कहा, कि समाज के सबसे कमजोर लोगों यानी बच्चों के जीवन और कल्याण की रक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सामाजिक नीतियों के केंद्र में बच्चों को रखने के समर्थन के लिए आप ओईसीडी पर भरोसा कर सकते हैं।”.

सतीश के. सिंह

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