पाकिस्तान हो गया कंगालः अमेरिका के आगे जनरल बाजवा ने एड़ियां बजाईं, कसमें खाईं, वादे किए, मगर टस से मस नहीं हुआ IMF

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विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के फेल हो जाने के बाद कंगाली के भंवर में फंसे पाकिस्तान को बचाने के लिए आर्मी चीफ जनरल बाजवा जब तक मैदान में उतरे, तब तक काफी देर हो चुकी थी। वैसे भी जनरल बाजवा सितंबर में रिटायर होने वाले हैं। जनरल बाजवा डिक्टेटर नहीं बल्कि आर्मी चीफ हैं। यह बात अलग है कि दुनिया के मुल्क जानते हैं कि पाकिस्तान में सत्ता चलती है तो सिर्फ आर्मी चीफ की। बाकी सब तो मोहरे हैं। लेकिन इस समय मामला कुछ और है। एस एण्ड पी ने पाकिस्तान की रेटिंग नेगेटिव कर दी है। इसलिए भी दुनिया की तमाम आर्थिक ताकतें पाकिस्तान के भविष्य और अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं।</p>
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<strong>कौन होगा पाकिस्तान का पालनहार</strong></p>
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अगला चीफ कौन आएगा, वो जनरल बाजवा के वादों को कितना पूरा कर पाएगा या नहीं कर पाएगा? तमाम सवाल हैं। पाकिस्तान के पास सिर्फ इतने फॉरेन रिजर्व हैं जिससे कुछ दिन तक ही काम चल सकता है। अगर आईएमएफ से तत्काल मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफाल्ट हो जाएगा ठीक उसी तरह जैसे श्रीलंका हुआ। श्रीलंका को तो भारत ने काफी दिन तक बचाया और अब भी मदद कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान को बचाने कौन आएगा। चीन-सऊदी अरब और ईएयू जैसे देशों ने पैसा देने से इंकार कर दिया है। अगर ये देश कुछ मदद करने को रजामंद हुए भी हैं तो इनकी शर्तें इतनी कठिन हैं कि पाकिस्तान उन्हें पूरा नहीं कर पाएगा।</p>
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<strong>अमेरिका के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं बाजवा, लेकिन कोई सुन नहीं रहा</strong></p>
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निकी एशिया समेत दुनिया के तमाम अखबारों ने गुमनाम सोर्सेस के हवाले से रिपोर्ट छापी हैं कि इसी हफ्ते पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने अमेरिकी डिप्टी सेक्रेटरी वेंडी शरमन समेत बाईडेन प्रशासन के कई ओहदेदारों से फोन पर गुहार लगाई है कि आईएमएफ से पाकिस्तान को तत्काल आर्थिक मदद दिलवाई जाए। वरना पाकिस्तान डिफाल्ट घोषित हो जाएगा। बाजवा ने कहा पाकिस्तान को किसी भी तरह 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज तुरंत जारी करवा दिया जाए। लेकिन आईएमएफ सोर्सेज का कहना है कि बोर्ड की मीटिंग किसी भी सूरत में अगस्त के आखिर में ही हो सकती है, और उस मीटिंग में पाकिस्तान को फण्ड्स देने का एजेंडा शामिल नहीं हो सकता। क्यों कि आईएमएफ के बोर्ड में शामिल सदस्य देश पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है।</p>
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<strong>पाकिस्तान को जिसने पैसा दिया वो पछताया</strong></p>
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आईएमएफ पाकिस्तान को और अधिक कर्ज इसलिए नहीं देना चाहता क्यों कि 1958 से लेकर अभी दिए गए 22 बेल आउट पैकेज में से पाकिस्तान ने आईएमएफ के एक ही प्रोग्राम को इम्पलिमेंट किया है। वो भी तब जब पाकिस्तान पर तानाशाह जनरल परवेज मुशर्ऱफ का राज था। इसके अलावा पाकिस्तान के कोढ़ में खाज वाली कहावत यह हो गई है कि एस एण्ड पी ग्लोबल ने पाकिस्तान की रेटिंग स्टेबल से नेगेटिव कर दी है। इसका मतलब यह है कि कर्जा लेने के बाद भी पाकिस्तान की स्थिति में सुधार नहीं आएगा। जो भी देश या वित्तीय संस्था पाकिस्तान को कर्जा देगी उसका पैसा डूब ही जाना है।   </p>
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<strong>पाकिस्तान के पीएमओ और विदेश मंत्रालय में सब कुछ ठीक नहीं </strong></p>
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सवाल यह भी उठ रहा है कि जनरल बाजवा आखिरी समय पर ही मोर्चे पर क्यों आए। इसका बड़ा कारण यह भी है कि मौजूदा प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार तारिक फातेमी ने वाशिंगटन जाकर कुछ जुगत भिड़ाई भी थी लेकिन जैसे ही वो इस्लामाबाद लौटे वैसे ही पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय ने बयान दे दिया कि तारिक फातेमी की अमेरिका विजिट और वहां के ओहदेदारों के साथ हुई मीटिंग-वादों-दावों की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के इस बयान से अमेरिका और आईएमएफ के टॉप ब्रासेस में संशय पैदा हो गया और आईएमएफ से फण्ड्स मिलने की संभवाना खत्म सी हो गई। जनरल बाजवा खुद कटोरा लेकर कई देश हाल ही में घूम कर आए हैं। उनमें से यूएई ने जरूर कहा है कि वो इनवेस्टमेंट करेगा लेकिन जहां इनवेस्टमेंट करेगा वहां उसके शेयर पाकिस्तानी शेयरों से ज्यादा होंगे। इसके अलावा जब वो चाहेगा तब अपना फण्ड वापस निकाल कर अलग हो सकता है।</p>
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<strong>अगले आर्मी चीफ से ही नेगोसिएशन चाहती हैं इंटरनेशनल वित्तीय संस्थाएं</strong></p>
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जनरल बाजवा खुद भी और दुनिया की तमाम सभी ताकतें जानती हैं कि पाकिस्तान में हाईब्रिड डेमोक्रेसी है। मतलब वहां पर प्रधानमंत्री-कैबिनेट-संसद-अदालत और राष्ट्रपति नाम की संस्थांए तो हैं लेकिन इन सबकी डोर आर्मी चीफ के हाथों में रहती है। समस्या ये आन पड़ी है कि आईएमएफ या दुनिया की और दूसरी वित्तीय संस्थाएं तीन महीने के बाद यानी नए आर्मी चीफ की नियुक्ति के बाद ही पाकिस्तान से नेगोशिएशन करने की इच्छुक हैं।</p>
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<strong>अल्लाह की पनाह, पाकिस्तान तीन महीने बाद तीन अलग-अलग मुल्कों तकसीम हो चुका होगा</strong></p>
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अगर इन तीन महीनों में पाकिस्तान बचा तो अल्लाह मियां की रहमत वरना सितंबर के आखिर तक पाकिस्तान का डूबना निश्चित है। पाकिस्तानी आवाम राष्ट्रपति-प्रधामंत्री के घरों पर कब्जा कर लेगी। सड़कों पर आगजनी-लूटमार और हिंसा तांडव कर रही होगी। सिंधुस्थानी, बलौच, पखतून अलग-अलग मुल्क का ऐलान कर देंगे। सब के झण्डे-डण्डे और कौमी तराने तैयार हैं। लश्कर और सिपहसालार हथियार बांध कर और कमर कस कर बैठे हैं।</p>
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<strong>सुना तो यह भी जा रहा है कि पाकिस्तान के डिफाल्ट होने से पहले ही शहबाज खानदान ही नहीं इमरान खान और तमाम सत्ता और विपक्ष के नेताओँ ने विदेश भागने का पक्का प्लान भी बना लिया है।  </strong></p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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