अंतर्राष्ट्रीय

S. jaishankar ने मारा तमाचा फिर भी भारत को दुलार रहा यूरोप- आखिर क्यों

S. Jaishankar: एक समय था जब भारत दुनिया से कहता था कि आतंकवाद केवल दक्षिण एशिया खास तौर पर केवल भारत की नहीं बल्कि यूरोप और पश्चिमी देशों की भी है। यूरोपीय देशों और पश्चिमी देशों को एशिया की नजर से आतंकवाद को देखना होगा। गुड टेररिज्म और बेड टेररिज्म का भेद खत्म करना होगा। ताकि दुनिया को आतंक के भय से मुक्ति दिलाई जा सके। भारत ने कई बार कहा था कि यूरोप की समस्याएं पूरी दुनिया की समस्या है और एशिया की समस्या से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इस समझ से पूरा विश्व प्रभावित होगा।

शायद उस वक्त भारत के कमजोर प्रतिनिधित्व के कारण दुनिया भारत की इन बातों को तबज्जोह नहीं देती थी। सन 2014 के बाद माहौल बदला और दुनिया भारतीय रुख पर गंभीरता से विचार करती है। भारत से सुझाव और रणनीति साझा करने के प्रस्ताव दे रही है। हाल ही में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने यूरोपीय देशों की मानसिकता पर झन्नाटेदार तमाचा लगाया। पहले जैसा भारत होता तो शायद भारत को खरी-खोटी सुनने को मिलती। इसके विपरीत अब खुद जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने डॉक्टर एस.जयशकर की तल्ख टिप्पणी का स्वागत किया। ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जो कहा वह सही कहा है और उनकी बात में काफी दम है।

एस. जयशंकर ने ग्‍लोबसेक (GLOBSEC) ब्रातिस्लावा फोरम में कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।

सम्‍मेलन में जर्मन चांसलर ने भी इस मानसिकता में बदलाव करने का सुझाव दिया। स्‍कोल्‍ज ने कहा भारतीय विदेश मंत्री की यह टिप्‍पणी म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में शामिल है और यदि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूत कानून होता है तो यह अकेले यूरोप की समस्या नहीं होगी। जर्मन चांसलर ने कहा कि गरीबी और भुखमरी जैसी चुनौतियों का हल निकालने के लिए हमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ मिलकर काम करना होगा।

जर्मन चांसलर ने आगे कहा हमें संयुक्त कार्रवाई के लिए एक बुनियादी शर्त के रूप में इन देशों के हितों और चिंताओं को संबोधित करना होता है। यहीं कारण है कि जी-7 के दौरान बातचीत की मेज पर केवल एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधि ही नहीं थे। यूरोपीय प्रतिनिधि भी थे।

 

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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