Gilgit Baltistan: इमरान खान का एक और धोखा, बाहर आते ही बाबा जान ने किया 'यलगार'

चुनाव के बहाने किए गए नए धोखे से गिलगिट बालटिस्तान (Gilgit Baltistan) के लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है। गिलगिट बालटिस्तान (Gilgit Baltistan)  के लोग पाकिस्तान के खिलाफ नए सिरे आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। नौ साल बाद जेल से बाहर आए गिलगिट बालटिस्तान (Gilgit Baltistan) के जन नेता <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Baba_Jan_(politician)" target="_blank" rel="noopener noreferrer"><strong><span style="color: #000080;">बाबा जान</span></strong></a> ने फिर हुंकार भरी है और यलगार का ऐलान कर दिया है। बाबा जान ने कहा है कि कोई भी ताकत गिलगिट बालटिस्तान (Gilgit Baltistan) के हक पर डाका नहीं डाल पाएगी। अगर स्थानीय लोगों की मंशा के खिलाफ कोई काम हुआ तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

ध्यान रहे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगिट बालटिस्तान के चुनाव से पहले वादा किया था कि गिलगिट में एक अंतरिम सरकार बनाने के बाद उसको प्रांत का दर्जा दे दिया जाएगा। सच्चाई यह है कि इमरान खान की सरकार के पास पाकिस्तान की संसद में बहुमत ही नहीं है। इमरान सरकार जैसे-तैसे सहयोगी दलों की बैसाखियों पर चल रही है। संसद में मामूली प्रस्तावों को पास कराने में ही इमरान सरकार को पसीने आ जाते हैं। गिलगिट बालटिस्तान को सूबे का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव तो बहुत अहम और बड़ा है।

पाकिस्तान के लगभग सभी विपक्षी दल गिलगिट बालटिस्तान को सूबा बनाए जाने के <a href="https://hindi.indianarrative.com/video/who-is-pakistan-to-change-the-status-of-gilbit-baltistan-16685.html"><strong><span style="color: #000080;">इमरान खान</span></strong></a> के ऐलान के खिलाफ हैं। वैसे भी इमरान खान को गिलगिट बालटिस्तान में बहुमत हासिल नहीं हुआ है। वो निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे सरकार बनाने की जुगत में हैं। इमरान यहां भी बैसाखियों पर चलने वाली सरकार बना कर गिलगिट को पांचवा सूबा बनाने का प्रस्ताव ला सकते हैं मगर संसद में यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता।

दरअसल, चीन के दबाव के चलते इमरान खान ने गिलगिट बालटिस्तान में चुनाव तो करवा दिए मगर अब बाजी उनके हाथ से निकल चुकी है। 1963 में गिलगित-बाल्टिस्तान में अपनी साझा सीमा की स्थापना के बाद से चीन और पाकिस्तान करीबी सहयोगी रहे हैं। 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के शुरुआत भी गिलगिट बालटिस्तान से हुई है। गिलगिट बालटिस्तान में चीन की कई कंपनियां इंफ्रास्टक्चर को विकास के नाम पर स्थानीय संसाधानों का दोहन कर रही हैं। कई प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जो चीन केवल भारत पर सैन्य बढ़त बनाने के इरादे से कर रहा है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की पाकिस्तान की योजना का भारत ने शुरू से ही विरोध किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सितंबर में एक डिजिटल प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, 'सैन्य कब्जे वाले तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थिति को बदलने के लिये पाकिस्तान द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह शुरू से ही अमान्य है।' श्रीवास्तव ने कहा था, 'हमारी स्थिति स्पष्ट व सतत है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के तहत आने वाला समस्त क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग रहा है और है तथा आगे भी रहेगा।.

सतीश के. सिंह

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