भारत को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से अब कई दुश्मन देशों की अकड़ ढीली होते दिख रही है। इसी कड़ी में हमेशा भारत के खिलाफ जगह उगलने वाला ग्लोबल टाइम्स के सुर बदल गए हैं। वो भारत के साथ ब्रिक्स और एससीओ के तहत चंद्र मिशन को लेकर सहयोग के सपने देख रहा है। ग्लोबल टाइम्स के रुख में यह बदलाव चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडिंग के बाद आया है। चीन (China) भले ही चंद्रमा पर अपना लैंडर उतार चुका है, लेकिन वह भी दक्षिणी ध्रुव पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने लैंडर को उतारने में कामयाब रहा है। वहीं ग्लोबल टाइम्स ने भारत के इस कामयाबी की जमकर प्रशंसा की है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत और चीन ब्रिक्स और एससीओ के तहत चंद्र अन्वेषण या मून एक्सप्लोरेशन में सहयोग को बढ़ा सकते हैं।
china अंतरिक्ष में चाहता है भारत का साथ
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीनी विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष में विकासशील देशों के बढ़ते महत्व को दर्शाते हुए इस उपलब्धि की सराहना की है। उन्होंने भारत से वैज्ञानिक उन्नति की खोज में भू-राजनीतिक योजनाओं को शामिल करने का त्याग करने का आह्वान किया। भू-राजनीतिक योजनाओं से ग्लोबल टाइम्स का इशारा चीन विरोधी देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग से है।
चीन भारत के साथ अंतरिक्ष में कैसा सहयोग चाह रहा?
चीन के इस मुखपत्र ने आगे लिखा कि भारत की इस सहायता पर चीनी विशेषज्ञों ने खुशी व्यक्त की और कहा कि दोनों देश उभरती हुई अर्थव्यवस्था हैं। दोनों ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन के भी सदस्य हैं। दोनों पक्षों के बीच गहरे अंतरिक्ष में सहयोग की व्यापक गुंजाइश है। अंतरिक्ष खोज और मानवयुक्त मिशन के लिए डेटा साझा करना, अनुभव बांटना और अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग पर दोनों देश साथ काम कर सकते हैं।
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दक्षिणी ध्रुव पर चीन की नजर
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए काफी हद तक अज्ञात क्षेत्र बना हुआ है, क्योंकि माना जाता है कि इसमें बड़ी मात्रा में पानी की बर्फ मौजूद है। अगर इसकी आसानी से खोज कर ली जाती है तो भविष्य के क्रू मिशनों के लिए रॉकेट ईंधन और जीवन के लिए खनन किया जा सकता है। चीन भी इस क्षेत्र पर नज़र रख रहा है क्योंकि वह अपनी चंद्र अन्वेषण परियोजना को आगे बढ़ा रहा है।
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