PM Modi का चांसलरी में भव्य स्वागत देखने के लिए थम सा गया जर्मनी, यूक्रेन-रूस युद्ध पर सिर चढ़ कर बोली इंडिया की कूटनीति

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बर्लिन एयरपोर्ट पर ग्रांड गेला रिसेप्शन, वाइस चांसलर की अगवानी, जर्मन चांसलरी में भव्य औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर और फिर चाय पर चर्चा से लेकर गोलमेज सम्मेलन तक भारत की कूटनीति सिर चढ़ कर बोली। यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौर में जहां दुनिया दो हिस्सों में बंटी दिखाई दे रही है वहीं भारत एक ऐसा देश है जो तटस्थ खड़ा हुआ है। भारत ने युद्ध की भर्त्सना जरूर की लेकिन अपने मित्र रूस की कहीं भी आलोचना नहीं की। हां, यह जरूर कहा कि युद्ध से किसी भी पक्ष की जीत नहीं होती। यह संदेश दोनों देशों के लिए था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे संबंध रूस और यूक्रेन दोनों से हैं। हम दोनों के सम्पर्क में हैं। हम दोनों से युद्ध रोकने का आग्रह करते हैं।</p>
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पीएम मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर बेहद चिंतित है और शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि शांति बेहद नाजुक हालत में है और बातचीत ही इस संकट को हल करने का एकमात्र उपाय है। पीएम मोदी ने कहा, भारत जर्मनी कई मूल्य साझा करते हैं। हम तीसरे देश में साझा परियोजनाों पर काम कर रहे हैं। मोदी जर्मनी के बाद डेनमार्क और फ्रांस के दौरे पर जाएंगे।</p>
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज से मुलाकात की जिसमें दोनों नेताओं ने कारोबार को गति देने और सांस्कृतिक सम्पर्कों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी यूरोप के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में सोमवार को सुबह जर्मनी पहुंचे। अपनी यात्रा के दौरान मोदी डेनमार्क और फ्रांस भी जायेंगे।</p>
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प्रधानमंत्री मोदी की यूरोप यात्रा यूक्रेन संकट के बीच हो रही है जिसको लेकर रूस के खिलाफ लगभग पूरा यूरोप एकजुट है। बर्लिन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने चांसलर कार्यालय (चांसलरी) के प्रांगण में पारंपरिक सलामी गारद का निरीक्षण किया । चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने यहां प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी की। जिस समय ओलाफ शॉल्ज चांसलरी में पीएम मोदी को सलामी गारद का निरीक्षण करवा रहे थे उस समय हजारों जर्मन नागरिक चांसलरी की ओपन फेंसिंग के पार खड़े होकर प्रधानमंत्री को चीयर्स कर रहे थे। सड़कों पर चल रहे वाहन धीमी गति से गुजरते हुए पीएम मोदी की अगवानी के साक्षी बन रहे थे। ऐसा लग रहा था कि जर्मन चांसलरी में भारत से नहीं ब्रह्माण्ड मण्डल से कोई विशिष्ट अतिथि उतरा है।  </p>
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इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के  कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘ भारत-जर्मनी सहयोग का विस्तार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने बर्लिन में मुलाकात की। '' प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी चांसलर शॉल्ज से यह पहली मुलाकात है जिन्होंने दिसंबर 2021 में पदभार ग्रहण किया है।विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच सम्पूर्ण सामरिक गठजोड़ के तहत द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्रों तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर चर्चा हुई।</p>
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गौरतलब है कि भारत उन करीब 50 देशों में शामिल था जो अप्रैल महीने में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने के प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा था। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच, जनवरी के बाद से भारत संयुक्त राष्ट्र में इस मामले पर प्रक्रियागत मतदान के दौरान आठ मौके पर अनुपस्थित रहा।</p>
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शिष्टमंडल स्तर की वार्ता में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी हिस्सा लिया। बाद में मोदी और ओलाफ ने छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता की। आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह जर्मनी की पांचवी यात्रा है । इससे पहले वह अप्रैल 2018, जुलाई 2017, मई 2017 और अप्रैल 2015 जर्मनी गए थे।</p>
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प्रधानमंत्री ने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, 'बर्लिन में अल सुबह होने के बाद भी भारतीय समुदाय के कई लोग आए। उनके साथ जुड़ना अद्भुत रहा। भारत को अपने प्रवासी लोगों की उपलब्धियों पर गर्व है।'यूरोप की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था कि बर्लिन की उनकी यात्रा चांसलर शॉल्ज से बातचीत का अवसर प्रदान करेगी जिनसे उन्होंने पिछले वर्ष जी20 में मुलाकात की थी, तब वह वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे।</p>
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Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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