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Indian Army में अब नहीं दिखेंगे गोरखा! नेपाल ने रोकी गोरखाओं की भर्ती।

Indian Army में क्या अब नहीं दिखेंगे गोरखा रेजिमेंट के जवान? क्योंकि भारत ने जब से अग्निपथ स्कीम की शुरुआत की है, तब से नेपाल ने गोरखाओं की भर्ती पर रोक लगा दी है। भारत के अग्निवीर बनने को राजी नहीं हैं नेपाल के गोरखा। भारत में नेपाल के राजदूत ने कहा है कि फिलहाल गोरखाओं की भर्ती ठंडे बस्ते में हैं। क्योंकि दोनों देश के बीच इस मसले को लेकर कोई खास पहल नहीं हो रही है।

भारत के अग्निपथ योजना के तहत भारतीय गोरखा रेजिमेंट में नेपाल सरकार ने गोरखाओं की भर्ती पर रोक लगा रखी है। हालांक बताया जा रहा है कि यह पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है। भारतमें नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि गोरखा रेजिमेंट में बहाली की प्रक्रिया फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस मामले पर बातचीत पूरी तरह से बंद हो चुकी है।

नेपाली राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत अग्निपथ योजना के तहत नए प्रकार के सिस्टम को विकसित कर रहा है,और नेपाल से भी भर्ती हुए जवान को इसी प्रणाली के तहत रखना चाह रही है। लेकिन नेपाल इन सबसे इतर कुछ अगल चाह रहा है। नेपाल पुरानी प्रणाली के तहत भर्ती प्रक्रिया चाह रहा है।

साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा होते नहीं देख ऐसा लग रहा है कि यह विराम के चरण में है।

क्या है अग्निपथ स्कीम

पिछले साल केंद्र सरकार सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम लाई थी। इसमें साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। इनमें से सिर्फ 25 फीसदी को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा।

अग्निपथ स्कीम आने पर नेपाल ने रोकी थी भर्ती

भारत सरकार की अग्निपथ स्कीम आने के बाद से ही अगस्त 2022 में नेपाल सरकार ने भारतीय सेना से लिए गोरखाओं की भर्ती पर रोक लगा दी थी। तब नेपाल सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि यह भर्ती ब्रिटेन-भारत-नेपाल त्रिपक्षीय समझौते के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।वर्तमान स्थिति में भारत की गोरखा रेजिमेंट में नेपाली 60 फीसदी हिस्सा हैं।

यह भी पढ़ें-Pakistan में अहमदिया मुसलमानों की तोड़ी गई मस्जिद,अहमदिया ‘मुसलमानों’ से भेदभाव क्यों?

आईएन ब्यूरो

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