अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका पर दिवालिया होने का मंडरा रहा खतरा, जानें भारत पर क्या होगा असर?

दुनिया की आर्थिक महाशक्ति अमेरिका (America) अपना कर्ज चुकाने में नाकाम हो जाये तो फिर क्या होगा और वह अपनी सैलरी कर्मचारियों को सैलरी ही ना दे पाए तो क्या होगा? दुनियाभर में इन दिनों ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका इस हालत के करीब हो सकता है। ये दिन आया तो कुछ नतीजों की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक डिफॉल्ट किया नहीं है। फिर भी सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका क्या किसी बड़े संकट में फंसने जा रहा है?

कर्ज किस हद तक

अमेरिका 31.4 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्ज नहीं ले सकता क्योंकि उसने खुद यह सीमा तय कर रखी है। पहले विश्व युद्ध में अमेरिका यह समझ गया कि कर्ज आने वाली पीढ़ियों के लिए बोझ साबित होगा। इसलिए उसने सीमा तय की, जिसे संसद की सहमति के बिना नहीं बढ़ाया जा सकेगा। अमेरिका का कर्ज मौजूदा सीमा तक 19 जनवरी को ही पहुंच गया था। इसके बाद से अकाउंटिंग में इधर-उधर करके काम चलाया जा रहा है। अब पुराने कर्जे अदा करने के लिए नया कर्ज लेना है। 1960 के बाद से लिमिट को 78 बार तोड़ने की कोशिश की गई। कभी इसे बढ़ा दिया गया, कभी इसे विस्तार दे दिया गया, कभी लिमिट की परिभाषा बदल दी गई। नतीजा ये है कि 1917 से कर्ज की सीमा बढ़ते बढ़ते अब 31.4 लाख करोड़ डॉलर हो गई। फिलहाल सरकार को टैक्स तो मिलता रहेगा, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा। मौजूदा जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए और कर्ज लेना होगा।

कितनी मोहलत मिलेगी

अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने हाल में इस बात की चेतवानी दी की नकदी पहली जून तक खत्म होने के आसार हैं। हालांकि यह अनुमान ही है। इसमें थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है। इससे पहले कर्ज की सीमा को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के राजनीतिक दलों को सहमत होना पड़ेगा। पुराना कर्ज चुकाने में सरकार नाकाम रही तो देश डिफॉल्ट कर जाएगा। अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे सकेगा।

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क्या सुलह हो सकेगी

फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि थोड़ी देर भले हो जाए, मगर अमेरिका के नेता अपने देश को डिफॉल्ट करने की नौबत नहीं आने देंगे। हालात की गंभीरता को भांपते हुए ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी अहम विदेश यात्रा टालने का फैसला किया। उन्होंने बातचीत को लेकर उम्मीद जताई है। सबको पता है कि अगर डिफॉल्ट हुआ तो अमेरिका की सुपरपावर वाली हैसियत को चोट पहुंचेगी। पूरा देश मंदी के चक्र में बुरी तरह घिर सकता है। 80 लाख अमेरिकी नौकरी खो देंगे।

भारत पर कैसा असर?

हमारा देश भारत भी इससे प्रभावित हो सकता है। इसका कारण ये है कि अमेरिका में डिमांड घटने पर निर्यात प्रभावित होगा। इससे हमारे देश की कंपनियों पर असर पड़ेगा। भारत की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री पहले ही अमेरिका में मांग घटने से मुश्किल वक्त का सामना कर रही है। दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पर कारोबार डॉलर में होता है और दुनिया के कई देशों में डॉलर का रिजर्व रखा जाता है। अमेरिका कर्ज नहीं चुका पाता तो डॉलर की साख घटेगी।

आईएन ब्यूरो

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