पाकिस्तान (Pakistan) में इस वक्त हालात भयानक होते जा रहे हैं। पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है, बिजली की भारी संकट है, सब्जियों की आकाल पड़ी हुई है। कंगाल की स्थिति में पाकिस्तान पर उसके ही आतंकी हमला करना शुरू कर दिये हैं। खासकर अफहानिस्तान में तालिबान राज के बाद से ही पाकिस्तान के हालात भयानक होने लगे हैं। जबकि पाकिस्तान में आतंकवाद भी दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है। तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने सरकार और देश की सुरक्षा एजेंसी की नाक में दम करके रखा है। आए दिन होने वाले आतंकी हमलों में कई लोगों की जान भी गई है। इन हमलों में मुख्यत: सुरक्षाकमियों और पुलिस के जवानों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके बीच ही हर कोई बस यही सवाल जानना चाहता है कि जो स्थिति पाकिस्तान में इस समय है, उसका भारत पर कितना असर पड़ सकता है। यह सवाल ऐसे समय में जाता है जब पाकिस्तानी सेना भी टीटीपी के आगे घुटने टेक रही है।
भारत पर सबसे ज्यादा असर
भारतीय सेना (Indian Army) के 15 कोर के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने एक आर्टिकल में लिखा है कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में मौजूद आतंकियों की वजह से भारत को सबसे ज्यादा असर झेलना पड़ा है। अफगानिस्तान पाकिस्तान का बीहड़, खराब शिक्षा व्यवस्था, सीमित रोजगार के मौके, शासन का होना, फेल अर्थव्यवस्था और कट्टरपंथी विचारधारा जैसी वजहें आतंकवाद की समस्या में आग में घी का काम करती हैं। साल 2007 में जब लाल मस्जिद में पाकिस्तान की सेना दाखिल हुई उसके साथ ही देश में आतंकवाद ने भी कदम रख दिया।
लॉन्च किया गया जर्ब-ए-अज्ब
टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में संघीय शासन जनजातीय क्षेत्रों और पड़ोसी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सरकार का प्रभाव खत्म करना था। साथ ही संगठन पूरे पाकिस्तान में शरिया कानून को सख्ती से लागू करना चाहता है। टीटीपी के की तरफ से सार्वजनिक तौर पर यह बयान कई बार दिया जा चुका है कि संगठन, पाकिस्तान में एक इस्लामिक खलीफा स्थापित करना चाहता है जिसके लिए सरकार को उखाड़ने की जरूरत है। साल 2014 से 2018 तक पाकिस्तान आर्मी की तरफ से ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब चलाया गया था। जून 2014 में कराची एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले के बाद इस ऑपरेशन को लॉन्च किया गया था।
भारत पर कितना है खतरा
भारत वह देश रहा है जिसने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का सामना सबसे पहले किया। सन् 1990 के दशक से ही पाकिस्तान की तरफ से आतंकी हमलों को अंजाम दिया गया। साथ ही कश्मीर घाटी को भी आतंकवाद ने काफी प्रभावित किया। जनरल सैयद अता हसनैन की मानें तो फिलहाल भारत पर टीटीपी की इस आक्रामकता का असर पड़ेगा, इसकी आशंका नहीं है। उनकी मानें तो टीटीपी का भारत पर कोई ध्यान नहीं है और अफगान तालिबान, भारत को दुश्मन नहीं मानता है। हालांकि, पाकिस्तानी सेना टीटीपी को बेअसर करने में मदद के लिए भारत केंद्रित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर -ए-तैयबा की मदद ले सकती है। ऐसे में भारत में आतंकवाद की वापसी किसी न किसी तौर पर हो सकती है।
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