अंतर्राष्ट्रीय

पूरी तरह कंगाल हुआ पाकिस्‍तान! खाने की किल्लत के बाद अब IMF लोन का सपना भी अटका

कंगाली के हाल से बेहाल पाकिस्तान (Pakistan) कई सारी समस्याओं का एक साथ सामना कर रहा है। जिसमें से महंगाई के चलते पाकिस्तान में हाहाकार मचा हुआ है। इस वक्त आलम यह है कि आधा से ज्यादा पाकिस्तान जबरदस्त महंगाई की मार झेल रहा है। इस दौरान आर्थिक तंगी में फंसे पाकिस्‍तान के लिए अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से कोई राहत फिलहाल आती नहीं दिख रही है। पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की मानें तो आईएमएफ की तरफ से पांच अरब डॉलर का जो लोन मिलने वाला था, वह अटक गया है। बताया जा रहा है इस्‍लामाबाद को अभी तक इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल पॉलिसीज (MEFP) ड्रॉफ्ट नहीं मिला है जबकि सिर्फ दो दिन बचे हैं। आईएमएफ नौ फरवरी को पाकिस्‍तान के लिए बड़ी राहत का ऐलान कर सकता था। मगर जो हालात अभी हैं, उन्‍हें देखते हुए तो नहीं लगता कि फिलहाल कुछ हो पाएगा।

नाजुक दौर में वार्ता

IMF के साथ वार्ता बेहद नाजुक दौर में पहुंच चुकी है और किसी भी दिशा की तरफ मुड़ सकती है। शहबाज सरकार को उम्‍मीद है कि वह वार्ता के अंतिम दिन गुरुवार तक एक बेहतर डील के लिए आईएमएफ को रजामंद कर लेगी। वहीं सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम अभी यह नहीं कह सकते हैं कि सबकुछ रुक गया है क्‍योंकि दोनों पक्ष एक खुले दिमागा के साथ अभी तक वार्ता कर रहे हैं।’

इस अधिकारी की मानें तो अईएमएफ को प्राथमिक राजकोषीय घाटे पर पहुंचने से पहले बची हुई अपेक्षित प्रांतीय नकदी की और ज्‍यादा जानकारी चाहिए। सरकार ने इस वित्‍त वर्ष के लिए 750 अरब रुपए की प्रांतीय नकदी अधिशेष तय किया है। पहली तिमाही में चार संघीय इकाइयों ने अधिशेष में केवल 177 अरब रुपए दिखाए गए। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलनात्मक अवधि की तुलना में अधिशेष 304 अरब रुपए या 63% कम था।

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पाकिस्तान को पूरी-पूरी उम्मीद है किसोमवार को उसे एमईएफपी का पहला ड्राफ्ट मिल सकता है। यह वह अहम दस्‍तावेज है जो बेलआउट पैकेज से जुड़ा होता है। यह दस्‍तावेल इस बाकी बचे वित्‍तीय वर्ष के लिए संशोधित राजकोषीय, मौद्रिक और बाहरी क्षेत्र के लक्ष्यों और अगले वित्तीय वर्ष के अनुमानों को दर्शाएगा। IMF ने अब तक इस ड्राफ्ट को पाकिस्‍तान की सरकार के साथ साझा नहीं किया है। मंगलवार देर शाम तक शहबाज और उनके अधिकारी इसका इंतजार करते रहे थे। इसमें देरी का मतलब साद है कि 48 घंटे के लिए स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

आईएन ब्यूरो

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